"कायांतरित शैल": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Quartzite.jpg|thumb|200px|right|caption|रूपांतरित चट्टान के एक प्रकार (क्वार्टजाइट)]]
अपक्षय एवं अपरदन के विभिन्न साधनों द्वारा मौलिक चट्टनों के विघटन, वियोजन और टूटने से परिवहन तथा किसी स्थान पर जमाव के परिणामस्वरुप उनके अवसादों से निर्मित शैल को अवसादी शैल (sedimentary rock) कहा जाता हैं।
[[आग्नेय शैल|आग्नेय]] एवं [[अवसादी शैल|अवसादी शैलों]] में [[ताप]] और [[दाब]] के कारण परिर्वतन या रूपान्तरण हो जाने से '''कायांतरित शैल''' (metamorphic rock) का निमार्ण होता हैं। रूपांतरित चट्टानों (कायांतरित शैल) पृथ्वी की पपड़ी के एक बड़े हिस्सा से बनी होती है और बनावट, रासायनिक और खनिज संयोजन द्वारा इनको वर्गीकृत किया जाता है|<ref>Blatt, Harvey and Robert J. Tracy, ''Petrology'', W.H.Freeman, 2nd ed., 1996, p.355 ISBN 0-7167-2438-3</ref>
 
वायु, जल और हिम के चिरंतन आघातों से पूर्वस्थित शैलों का निरंतर अपक्षय एवं विदारण होता रहता है। इस प्रकार के अपक्षरण से उपलब्ध पदार्थ कंकड़, पत्थर, रेत, मिट्टी इत्यादि, जलधाराओं, वायु या हिमनदों द्वारा परिवाहित होकर प्राय: निचले प्रदेशों, सागर, झील अथवा नदी की घाटियों में एकत्र हो जाते हैं। कालांतर में संघनित होकर वे स्तरीभूत हो जाते हैं। इन स्तरीभूत शैलों को अवसाद शैल (सेडिमेंटरी रॉक्स) कहते हैं।
 
अवसाद शैलों के प्रकार संपादित करें
 
अवसाद शैलों का निर्माण तीन प्रकार से होता है। पहले प्रकार के शैलों का निर्माण विभिन्न खनिजों और शिलाखंडों के भौतिक कारणों से टूटकर इकट्ठा होने से होता है। विभिन्न प्राकृतिक आघातों से विदीर्ण रेत एवं मिट्टी नदियों या वायु के झोकों द्वारा परिवाहित होकर उपयुक्त स्थलों में एकत्र हो जाती है और पहली प्रकार की शिलाओं को जन्म देती है। ऐसी शिलाओं को व्यपघर्षण (डेट्राइटल) या एपिक्लास्टिक शैल कहते हैं। बलुआ पत्थर या शैल इसी प्रकार की शिलाएँ हैं। दूसरे प्रकार के शैल जल में घुले पदार्थों के रासायनिक निस्सादन (प्रसिपिटेशन) से निर्मित होते हैं। निस्सादन दो प्रकार का होता है, या तो जल में घुले पदार्थों की पारस्परिक प्रतिक्रियाओं से या जल के वाष्पीकरण से। ऐसी शिलाओं को रासायनिक शैल कहते हैं। विभिन्न कार्बोनेट, जैसे चूने का पत्थर, डोलोमाइट आदि फास्फेट एवं विविध लवण इसी वर्ग में आते हैं। तीसरे प्रकार के शैलों के विकास में जीवों का हाथ है। मृत्यु के उपरांत प्रवाल (मूँगा), शैवाल (ऐल्जी), खोलधारी जलचर, युक्ताप्य (डाइऐटोम) आदि के कठोर अवशेष एकत्रित होकर शैलों का निर्माण करते हैं। मृत वनस्पतियों के संचयन से कोयला इसी प्रकार बना है। रासायनिक शिलाओं के निर्माण में जीवाणुओं का सहयोग उल्लेखनीय है। सूक्ष्म जीवाणुओं की उत्प्रेरणाओं से जल में घुले पदार्थों का निस्सादन तीव्र हो जाता है।
 
इतिहास
 
अवसाद शैल और जीवाश्म
 
अवसाद शैल एवं अयस्क निक्षेप संपादित करें
 
कोयला, ऐल्यूमिनियम का अयस्क - बाक्साइट, लोहे का अयस्क - लैटेराइट, नमक, जिप्सम, फास्फेट, मैगनेसाइट, सीमेंट का अयस्क, चूने का पत्थर, इत्यादि कई महत्वपूर्ण खनिज पदार्थ अवसाद शैलों में उपलब्ध होते है।
 
बालू का पत्थर
चूने का पत्थर
कोयला
जिप्सम
लोयस
मोरेन
 
== मेटमॉर्फिक खनिज ==