"कुश्ती": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Pankratiasten in fight copy of greek statue 3 century bC.jpg|thumb|right|पहलवान]]
'''कुश्ती''' एक अति प्राचीन खेल, कला एवं मनोरंजन का साधन है। यह प्राय: दो व्यक्तियों के बीच होती है जिसमें खिलाड़ी अपने प्रतिद्वंदी को पकड़कर एक विशेष स्थिति में लाने का प्रयत्न करता है।
== सन्दर्भ ==
कूश्‍ती के कुछ दांव इस प्रकार हैं
{{टिप्पणीसूची}}
निकाल दांव
[[श्रेणी:खेल]]
निकाल दांव
[[श्रेणी:कुश्ती| ]]
भारत के गांव देहातो में होने वाले दंगलो में इस दांव को बेहद पसंद किया जाता है.
[[श्रेणी:ओलम्पिक क्रीडाएँ]]
इस दांव के महारथी पहलवान सिर्फ इस एक दांव के बल पर अपने प्रतिद्वंद्वी को चित्त कर देते हैं.
{{आधार}}
इस दांव में पहलवान अचानक झुक कर अपने प्रतिद्ंवद्वी की टांगो के बीच में निकल जाता है और उसे कंधो से उठा कर जमीन पर पटक देता है. एक भारी पहलवान के विरूद्ध इस दांव को लगाना बेहद कठिन होता है.
कलाजंग दांव
कलाजंग दांव
दिन में तारे दिखा सकने वाले इस दांव के लिए बेहद ताकत और फ़ुर्ती की ज़रूरत होती है. एक विरोध करते प्रतिद्ंवद्वी पर इसे लगाना काफ़ी मुश्किल है.
इस दांव में पहलवान अपने विरोधी को उसके पेट के बल अपने कंधो पर उठा लेता है और फ़िर इसे पीठ के बल पटकता है.
ये भारत का एक प्राचीन दांव है और इसी दांव को डब्लयूडब्लयूएफ़ के मशहूर पहलवान जॉन सीना भी इस्तेमाल करते हैं.
जांघिया दांव
जांघिया दांव
कुश्ती लड़ते हुए जांघिया पहनना अनिवार्य होता है क्योंकि यह कुश्ती की पारंपरिक पोशाक है. लेकिन जांघिये से ही एक दांव भी जुड़ा है जिसे जांघिया दांव कहा जाता है.
इस दांव में पहलवान पहले एक दूसरे से भिड़ते हैं और फिर दोनों एक दूसरे का जांघिया कसकर पकड़ लेते हैं. जो व्यक्ति पहले अपने विरोधी के पैर जमीन से उठा कर उसे पटक देता है वह विजयी हो जाता है.
इस दांव में जबर्दस्त ताकत और संतुलन की ज़रूरत होती है साथ ही इसे ओलिंपिक या किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में इस्तेमाल नहीं किया जाता.
टंगी या ईरानी दांव
ईरानी दांव
ये राजीव तोमर का प्रिय दांव है और इस दांव से उन्होने बड़े बड़े पहलवानों को चित्त किया है.
इस दांव में अक्सर बड़े पहलवान को फ़ायदा मिलता है क्योंकि हल्के पहलवान को उठाना आसान हो जाता है.
सांडीतोड़ और बगलडूब
सांडीतोड़
ये दो शब्द आप कुश्ती के दौरान अक्सर सुनेंगे. सांडीतोड़ना अर्थात हाथ मरोड़ देना और बगलडूब यानी विरोधी पहलवान के बगल के नीचे से निकल जाना.
ये दोनों ही पेंच, दांव लगाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. किसी दांव को पूरा करने के लिए किए जाने वाले प्रयास पेंच कहलाते हैं.
बगलडूब
अगर आपके पेंच सही हुए तो दांव भी ज़ोरदार लगेगा.
अब आप सोचते रहिए कि ज़िदंगी में कब कौन सा दांव आपने लगाया था लेकिन ध्यान रखें ये सभी दांव काफ़ी अभ्यास के बाद किए जाते हैं और इनमें चोट लगने का पूरा ख़तरा होता है.