"आत्मविश्वास": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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यदि आप कोई महान कार्य करना चाहते हैं तो सबसे पहले मन में स्वाधीनता के विचार भरिए। जिस मनुष्य का मन सन्देह, चिन्ता और भय से भरा हो, वह महान कार्य तो क्या, कोई सामान्य कार्य भी नहीं कर सकता। सन्देह और संशय आपके मन को कभी भी एकाग्र न होने देंगे। मन की एकाग्रता कार्य-सम्पादन के लिए आवश्यक शर्त है।
आत्मविश्वास वह अद्भुत शक्ति है जिसके बल पर एक अकेला मनुष्य हजारों विपत्तियों एवं शत्रुओं का सामना कर लेता है। निर्धन व्यक्तियों की सबसे बड़ी पूंजी और सबसे बड़ा मित्र आत्मविश्वास ही है। इस संसार में जितने भी महान कार्य हुए हैं या हो रहे हैं, उन सबका मूल कारण आत्मविश्वास ही है। संसार में जितने भी सफल व्यक्ति हुए हैं, यदि हम उनका जीवन इतिहास पढ़ें तो पाएंगे कि इन सभी में एक समानता थी और वह समानता थी- आत्मविश्वास की। 1
जब किसी व्यक्ति को यह अनुभव होने लगता है कि वह उन्नति कर रहा है, ऊंचा उठ रहा है, तब उसमें स्वतः आत्मविश्वास से पूर्ण बातें करने की शक्ति आ जाती है। उसे शंका पर विजय प्राप्त हो जाती है। जिस व्यक्ति के मुखमण्डल पर विजय का प्रकाश जगमगा रहा हो, सारा संसार उसका आदर करता है और उसकी विजय विश्वास में परिणत हो जाती है। आपने भी अनेक बार अनुभव किया होगा कि जो व्यक्ति आप पर अपनी शक्ति का प्रभाव डालते हैं, आप उनका विश्वास करने लगते हैं। इस सबका कारण उनका आत्मविश्वास है। जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास होता है, वह स्वतः दिव्य दिखाई पड़ने लगता है, जिसके कारण हम उसकी ओर खिंच जाते हैं और उसकी शक्ति पर विश्वास करने लगते हैं।
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