"अनुशीलन समिति": अवतरणों में अंतर

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'''अनुशीलन समिति''' [[भारत]] के [[स्वतंत्रता संग्राम]] के समय [[बंगाल]] में बनी अंग्रेज-विरोधी, गुप्त, क्रान्तिकारी, सशस्त्र संस्था थी। इसका उद्देश्य [[वन्दे मातरम्]] के प्रणेता व प्रख्यात बांग्ला उपन्यासकार [[बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय]] के बताये गये मार्ग का 'अनुशीलन' करना था। '''अनुशीलन''' का शाब्दिक अर्थ यह होता है :
: ''१. चिंतन। मनन। २. बार-बार किया जानेवाला अध्ययन या अभ्यास। ३. किसी ग्रन्थ तथ्य विषय के सब अंगो तथा उपांगों पर बहुत ही सूक्ष्म दृष्टि से विचार करना और उनसे परिचित होना। (स्टडी) ''<ref>[http://pustak.org/home.php?mean=4321]</ref>
इसका आरम्भ १९०२ में [[अखाड़ा|अखाड़ों]] से हुआ तथा इसके दो प्रमुख (तथा लगभग स्वतंत्र) रूप थे- [[ढ़ाकाढाका अनुशीलन समिति]] तथा [[युगान्तर]] ।यह बीसवीं शताब्दी के आरम्भिक दिनों में समूचे [[बंगाल]] में कार्य कर रही थी। पहले-पहल [[कलकत्ता]] और उसके कुछ बाद में [[ढाका]] इसके दो ही प्रमुख गढ़ थे। इसका आरम्भ [[अखाड़ा|अखाड़ों]] से हुआ। बाद में इसकी गतिविधियों का प्रचार प्रसार ग्रामीण क्षेत्रों सहित पूरे बंगाल में हो गया। इसके प्रभाव के कारण ही [[ब्रिटिश भारत]] की सरकार को [[बंग-भंग]] का निर्णय वापस लेना पडा था।
 
इसकी प्रमुख गतिविधियों में स्थान स्थान पर शाखाओं के माध्यम से नवयुवकों को एकत्र करना, उन्हें मानसिक व शारीरिक रूप से शक्तिशाली बनाना ताकि वे अंग्रेजों का डटकर मुकाबला कर सकें। उनकी गुप्त योजनाओं में बम बनाना, शस्त्र-प्रशिक्षण देना व दुष्ट अंग्रेज अधिकारियों वध करना आदि सम्मिलित थे। अनुशीलन समिति के सक्रिय सदस्य उन [[भारतीय]] अधिकारियों का वध करने में भी नहीं चूकते थे जिन्हें वे 'अंग्रेजों का पिट्ठू' व [[हिन्दुस्तान]] का 'गद्दार' समझते थे। इसके प्रतीक-चिन्ह की भाषा से ही स्पष्ठ होता है कि वे इस देश को '''एक''' (अविभाजित) रखना चाहते थे।