"भक्ति काल": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
No edit summary
पंक्ति 5:
रामानुजाचार्य की परंपरा में [[रामानंद]] हुए। आपका व्यक्तित्व असाधारण था। वे उस समय के सबसे बड़े आचार्य थे। उन्होंने भक्ति के क्षेत्र में ऊंच-नीच का भेद तोड़ दिया। सभी जातियों के अधिकारी व्यक्तियों को आपने शिष्य बनाया। उस समय का सूत्र हो गयाः
 
:''जाति-पांति पूछे नहिं कोई।<br />''
:''हरि को भजै सो हरि का होई''।।''
 
रामानंद ने विष्णु के अवतार राम की उपासना पर बल दिया। रामानंद ने और उनकी शिष्य-मंडली ने दक्षिण की भक्तिगंगा का उत्तर में प्रवाह किया। समस्त उत्तर-भारत इस पुण्य-प्रवाह में बहने लगा। भारत भर में उस समय पहुंचे हुए संत और महात्मा भक्तों का आविर्भाव हुआ।
पंक्ति 16:
संक्षेप में भक्ति-युग की चार प्रमुख काव्य-धाराएं मिलती हैं :
* '''सगुण भक्ति'''
:* [[रामाश्रयी शाखा]] और
:* [[कृष्णाश्रयी शाखा]]
 
* '''निर्गुण भक्ति'''
:* [[ज्ञानाश्रयी शाखा]] और
:* [[प्रेमाश्रयी शाखा]]
 
== परिचय ==
पंक्ति 75:
 
== यह भी देखें ==
:[[भक्ति आन्दोलन]]
:[[हिन्दी साहित्य]]
:[[आधुनिक हिंदी पद्य का इतिहास]]