"आधुनिक हिंदी पद्य का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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==छायावादी युग की कविता (१९२०-)==
सन १९२० के आसपास हिंदी में कल्पनापूर्ण स्वछंद और भावुक कविताओं की एक बाढ़ आई। यह यूरोप के रोमांटिसिज़्म से प्रभावित थी। भाव, शैली, छंद, अलंकार सब दृष्टियों से इसमें नयापन था। भारत की राजनीतिक स्वतंत्रता के बाद लोकप्रिय हुई इस कविता को आलोचकों ने [[छायावादी युग]] का नाम दिया। छायावादी कवियों की उस समय भारी कटु आलोचना हुई परंतु आज यह निर्विवाद तथ्य है कि आधुनिक हिंदी कविता की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि इसी समय के कवियों द्वारा हुई। [[जयशंकर प्रसाद]], [[निराला]], [[सुमित्रानंदन पंत]], [[महादेवी वर्मा]] इस युग के प्रधान कवि हैं।
== उत्तर-छायावाद युग-(१९३६-१९४३) ==
यह काल भारतीय राजनीति में भारी उथल-पुथल का काल रहा है.राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय,कई विचारधाराओं और आन्दोलनों का प्रभाव इस काल की कविता पर पडा . द्वितीय विश्वयुद्ध के भयावह परिणामों के प्रभाव से भी इस काल की कविता बहुत हद तक प्रभावित है. निष्कर्षत:राष्ट्रवादी, गांधीवादी,विप्लववादी,प्रगतिवादी, यथार्थवादी, हालावादी आदि विविध प्रकार की कवितायें इस काल में लिखी गई. इस काल के प्रमुख कवि हैं--
 
* माखनलाल चतुर्वेदी
* बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'
* सुभद्रा कुमारी चौहान
* रामधारी सिंह 'दिनकर'
* हरिवंश राय 'बच्चन'
* भगवतीचरण वर्मा
* नरेन्द्र शर्मा
* रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
* शिवमंगल सिंह 'सुमन'
* नागार्जुन
* केदारनाथ अग्रवाल
* त्रिलोचन
* रांगेयराघव
 
 
==प्रगतिवादी युग की कविता (१९३६)==