"आधुनिक हिंदी पद्य का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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==पं महावीर प्रसाद द्विवेदी युग की कविता (१९००-१९२०)==
सन 1900 के बाद दो दशकों पर [[पं महावीर प्रसाद द्विवेदी]] का पूरा प्रभाव पड़ा। इस युग को इसीलिए द्विवेदी-युग कहते हैं। [['सरस्वती']] पत्रिका के संपादक के रूप में आप उस समय पूरे हिंदी साहित्य पर छाए रहे। आपकी प्रेरणा से ब्रज-भाषा हिंदी कविता से हटती गई और खड़ी बोली ने उसका स्थान ले लिया। भाषा को स्थिर, परिष्कृत एवं व्याकरण-सम्मत बनाने में आपने बहुत परिश्रम किया। कविता की दृष्टि से वह इतिवृत्तात्मक युग था। आदर्शवाद का बोलबाला रहा। भारत का उज्ज्वल अतीत, देश-भक्ति, सामाजिक सुधार, स्वभाषा-प्रेम वगैरह कविता के मुख्य विषय थे। नीतिवादी विचारधारा के कारण श्रृंगार का वर्णन मर्यादित हो गया। कथा-काव्य का विकास इस युग की विशेषता है। भाषा खुरदरी और सरल रही। मधुरता एवं सरलता के गुण अभी खड़ी-बोली में आ नहीं पाए थे। सर्वश्री [[मैथिलीशरण गुप्त]], [[अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध']], [[श्रीधर पाठक]], [[रामनरेश त्रिपाठी]] आदि इस युग के यशस्वी कवि हैं। [[जगन्नाथदास 'रत्नाकर']] ने इसी युग में ब्रज भाषा में सरस रचनाएं प्रस्तुत कीं।
इस युग के प्रमुख कवि-
* अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
* रामचरित उपध्याय
* जगन्नाथ दास रत्नाकर
* गया प्रसाद शुक्ल 'सनेही'
* श्रीधर पाठक
* राम नरेश त्रिपाठी
* मैथिलीशरण गुप्त
* लोचन प्रसाद पाण्डेय
* सियारामशरण गुप्त
 
==छायावादी युग की कविता (१९२०-)==