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==प्रयोगवाद-नयी कविता युग की कविता(१९४३-१९६०)==
दूसरे विश्वयुध्द के पश्चात संसार भर में घोर निराशा तथा अवसाद की लहर फैल गई। साहित्य पर भी इसका प्रभाव पड़ा। 'अज्ञेय' के संपादन में १९४३ में 'तार सप्तक' का प्रकाशन हुआ। तब से हिंदी कविता में [[प्रयोगवादी युग]] का जन्म हुआ ऐसी मान्यता है। इसी का विकसित रूप [[नयी कविता]] कहलाता है। दुर्बोधता, निराशा, कुंठा, वैयक्तिकता, छंदहीनता के आक्षेप इस कविता पर भी किए गए हैं। वास्तव में नयी कविता नयी रुचि का प्रतिबिंब है।
इस धारा के मुख्य कवि हैं-
* [[अज्ञेय]],
* [[गिरिजाकुमार माथुर]],
* [[प्रभाकर माचवे]],
* [[भारतभूषण अग्रवाल]],
* [[मुक्तिबोध]],
* [[शमशेर बहादुर सिंह]],
* [[धर्मवीर भारती]],
* [[नरेश मेहता]],
* [[रघुवीर सहाय]],
* [[जगदीश गुप्त]],
* [[सर्वेश्वर दयाल सक्सेना]],
* [[कुंवर नारायण]],
* [[केदार नाथ सिंह]] ।