"रानी दुर्गावती": अवतरणों में अंतर

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दुर्भाग्यवश विवाह के चार वर्ष बाद ही राजा दलपतशाह का निधन हो गया। उस समय दुर्गावती की गोद में तीन वर्षीय नारायण ही था। अतः रानी ने स्वयं ही गढ़मंडला का शासन संभाल लिया। उन्होंने अनेक मंदिर, मठ, कुएं, बावड़ी तथा धर्मशालाएं बनवाईं। वर्तमान जबलपुर उनके राज्य का केन्द्र था। उन्होंने अपनी दासी के नाम पर चेरीताल, अपने नाम पर रानीताल तथा अपने विश्वस्त दीवान आधारसिंह के नाम पर आधारताल बनवाया।
 
रानी दुर्गावती का यह सुखी और सम्पन्न राज्य पर [[मालवा]] के मुसलमान शासक बाजबहादुर ने कई बार हमला किया, पर हर बार वह पराजित हुआ। तथाकथित महान मुगल शासक अकबर भी राज्य को जीतकर रानी को अपने [[हरम]] में डालना चाहता था। उसने विवाद प्रारम्भ करने हेतु रानी के प्रिय सफेद हाथी (सरमन) और उनके विश्वस्त वजीर आधारसिंह को भेंट के रूप में अपने पास भेजने को कहा। रानी ने यह मांग ठुकरा दी।
 
इस पर अकबर ने अपने एक रिश्तेदार आसफ खां के नेतृत्व में [[गोंडवाना]] पर हमला कर दिया। एक बार तो आसफ खां पराजित हुआ, पर अगली बार उसने दुगनी सेना और तैयारी के साथ हमला बोला। दुर्गावती के पास उस समय बहुत कम सैनिक थे। उन्होंने जबलपुर के पास नरई नाले के किनारे मोर्चा लगाया तथा स्वयं पुरुष वेश में युद्ध का नेतृत्व किया। इस युद्ध में 3,000 मुगल सैनिक मारे गये लेकिन रानी की भी अपार क्षति हुई थी।
 
अगले दिन 24 जून 1564 को मुगल सेना ने फिर हमला बोला। आज रानी का पक्ष दुर्बल था, अतः रानी ने अपने पुत्र नारायण को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया। तभी एक तीर उनकी भुजा में लगा, रानी ने उसे निकाल फेंका। दूसरे तीर ने उनकी आंख को बेध दिया, रानी ने इसे भी निकाला पर उसकी नोक आंख में ही रह गयी। तभी तीसरा तीर उनकी गर्दन में आकर धंस गया।
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*[[चन्देल]]
*[[विद्याधर (चंदेल)]]
 
==बाहरी कड़ियाँ==
* [http://pustak.org/home.php?bookid=3992 यशस्विनी रानी दुर्गावती]
* [http://www.importantindia.com/8955/rani-durgavati/ Rani Durgavati Maravi (History)] {{en}}
* पुस्तक: ''यशस्विनी रानी दुर्गावती, आईएसबीएन: 81-7011-808-5, प्रकाशक: सी.बी.टी. प्रकाशन, लेखिका: कमला शर्मा।''
* पुस्तक: ''606 रानी दुर्गावती, आईएसबीएन : 81-7508-473-1, प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस लिमिटेड, लेखक: अनन्त पई।''
 
[[श्रेणी:भारत के शासक]]