"गुलाब सिंह लोधी": अवतरणों में अंतर

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झंडा सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान देष की हर गली और गांव शहर में सत्याग्रहियों के जत्थे आजादी का अलख जगाते धूम रहे थे। झंडा गीत गाकर, झंडा ऊंचा रहे हमारा, विजय विश्व तिरंगा प्यारा, इसकी शान न जाने पावे, चाहे जान भले ही जाये, देश के कोटि कोटि लोग तिरंगे झंडे की शान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने के लिए दीवाने हो उठे थे।
समय का चक्र देखिए कि क्रांतिवीर गुलाबसिंह लोधी के झंडा फहराते ही सिपाहियों की आंख फिरी और अंग्रेजी साहब का हुकुम हुआ, गोली चलाओ, कई बन्दूकें एक साथ ऊपर उठी और धांय-धांय कर फायर होने लगे, गोलियां क्रांतिवीर सत्याग्रही गुलाबसिंह लोधी को जा लगी। जिसके फलस्वरूप वह घायल होकर पेड़ से जमीन पर गिर पड़े। रक्त रंजित वह वीर धरती पर ऐसे पड़े थे, मानो वह भारत माता की गोद में सो गये हों। इस प्रकार वह आजादी की बलिवेदी पर अपने प्राणों को न्यौछावर कर 23 अगस्त 1935 को शहीद हो गये।
क्रांतिवीर गुलाबसिंह लोधी के तिरंगा फहराने की इस क्रांतिकारी घटना के बाद ही अमीनाबाद पार्क को लोग झंडा वाला पार्क के नाम से पुकारने लगे और वह आजादी के आन्दोलन के दौरान राष्ट्रीय नेताओं की सभाओं का प्रमुख केन्द्र बन गया, जो आज शहीद गुलाब सिंह लोधी के बलिदान के स्मारक के रूप में हमारे सामने है। मानो वह आजादी के आन्दोलन की रोमांचकारी कहानी कह रहा है। क्रांतिवीर गुलाब सिंह लोधी ने जिस प्रकार अदम्य साहस का परिचय दिया और अंग्रेज सिपाहियों की आँख में धूल झोंककर बड़ी चतुराई तथा दूरदर्शिता के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। ऐसे उदाहरण इतिहास में बिरले ही मिलते है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय अग्रणी भूमिका निभाने के लिए उनकी याद में केंद्र सरकार द्वारा जनपद उन्नाव जनपद में 23 दिसंबर 2013 को डाक टिकट जारी किया गया।<ref>{{cite web|url=http://postagestamps.gov.in/Pdfbind.ashx?id=24/23rd December 2013: A commemorative postage stamp on Gulab Singh Lodhi|title=23rd December 2013: A commemorative postage stamp on Gulab Singh Lodhi|work=postagestamps.gov.in|accessdate=22 August 2015}}</ref>जारी किया गया।
 
== सन्दर्भ ==