"आस्ट्रियाई साहित्य": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1:
[[जर्मन साहित्य]] से मूल का नाता होते हुए भी '''आस्ट्रियन साहित्य''' की निजी जातिगत विशेषताएँ हैं; जिनके निरूपण में [[आस्ट्रिया]] की भौगोलिक तथा ऐतिहासिक परिस्थितियों के अतिरिक्त [[धर्मसुधार-विरोधी आंदोलन|काउंटर रिफ़ार्मेशन]] (16वीं शताब्दी के प्रोटेस्टेंट ईसाइयों के सुधारवादी आंदोलन के विरुद्ध यूरोप में [[ईसाई धर्म]] के कैथॉलिक संप्रदाय के पुररुत्थान के लिए हुआ आंदोलन) और पड़ासी देशों से घनिष्ठ, किंतु विद्वेषपूर्ण संबंधों का भी हाथ रहा। इसके साथ-साथ आस्ट्रिया पर इतालीय तथा स्पेनी संस्कृतियों का भी गहरा प्रभाव पड़ा। फलस्वरूप यह देश एक अति अलंकृत साहित्य एवं संस्कृति का केंद्र बन गया।
 
काउंटर रिफ़र्मेशन काल में वीनीज़ जनता का राष्ट्रीय स्वभाव एवं मनोवृत्तियाँ सजग होकर निखर आई थीं। इस चेतना ने आस्ट्रियाई साहित्य के जर्मन चोले को उतार फेंका। भावुक, हास्यप्रिय एवं सौंदर्यप्रेमी वोनीज़ जनता प्रकृतिस, संगीत तथा सभी प्रकार की दर्शनीय भव्यता की पुजारी है। उसकी कलादृष्टि बहुत पैनी है। जीवन की दु:खदायी परिस्थितियों से वह दूर भागती है। उसके आकर्षण और तन्मयता के केंद्र हैं जीवन के सुखद राग रंग। आत्मा परमात्मा, जीवन मरण, लोक परलोक के गंभीर दार्शनिक विवेचन में वह विरक्त है। फिर भी वह अतिशयोक्ति से दूर रहकर समन्वय और संतुलन में आस्था रखती है। प्रथम महायुद्ध के पूर्व और उपरांत जीवन के प्रति यह घोर आसक्ति आस्ट्रिया के साहित्य में प्रवाहित थी, किंतु द्वितीय महायुद्ध ने उसे बहुत कुछ चकित और कुंठित कर दिया है। फिर भी आस्ट्रियाई साहित्य आज तक भी उदारमना और मानवतावादी है।