"अरहर दाल": अवतरणों में अंतर

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जाता है। सम्भवतया इस पौधें को अफ्रीका से ही एशिया में लाया गया है।
 
दलहन प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत है जिसको आम जनता भी खाने में प्रयोग कर सकती है, लेकिन भारत में इसका उत्पादन आवश्यकता के अनुरूप नहीं है। यदि [[प्रोटीन]] की उपलब्धता बढ़ानी है तो दलहनों का उत्पादन बढ़ाना होगा। इसके लिए उन्नतशील प्रजातियां और उनकी उन्नतशील कृषि विधियों का विकास करना होगा।
 
अरहर एक विलक्षण गुण सम्पन्न फसल है। इसका उपयोग अन्य दलहनी फसलों की तुलना में [[दाल]] के रूप में सर्वाधिक किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसकी हरी फलियां [[सब्जी]] के लिये, खली चूरी पशुओं के लिए रातव, हरी पत्ती चारा औरके लिये तथा तना ईंधन, झोपड़ी और टोकरी बनाने के काम लाया जाता है। इसके पौधों पर [[लाख कीट|लाख के कीट]] का पालन करके [[लाख]] भी बनाई जाती है। [[मांस]] की तुलना में इसमें प्रोटीन भी अधिक (21-26 प्रतिशत) पाई जाती है।<ref>[http://www.aapkisaahayta.com/2015/06/arhar-ki-kheti.html अरहर की खेती : किस्में, संकर, सिंचाई, बीज और रोग]</ref>
 
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