"जॉन स्टूवर्ट मिल": अवतरणों में अंतर

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मिल का महत्व उसके मौलिक विचारों के कारण नहीं बल्कि इसलिये है कि यत्र तत्र बिखरे विचारों को एकत्र कर उनको एक रूप में बाँधने का प्रयास किया। वह शास्त्रीय विचारधारा और समाजवाद के बीच खड़ा रहा किंतु दोनों में कौन श्रेष्ठ है, इस विषय पर वह निश्चयात्मक आदेश न दे सका। अर्थशास्त्र को दार्शनिक रूप देने और उसे व्यापक बनाने का श्रेय मिल को है। 'अर्थशास्त्र के सिद्धांत' (1848) इसका प्रमुख ग्रंथ है।
 
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
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* [http://www.earlymoderntexts.com/ More easily readable versions of On Liberty, Utilitarianism, Three Essays on Religion, and The Subjection of Women]
* [http://isnature.org/Files/Mill1859-Composition_of_Causes.htm ''Of the Composition of Causes''], Chapter VI of ''System of Logic'' (1859)
 
{{Authority control}}
 
[[श्रेणी:19वीं शताब्दी के दार्शनिक]]