"मनमोहन (अभिनेता)": अवतरणों में अंतर

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===फिल्मी सफर===
मनमोहन ने अपने सफर की शुरूआत "ये रास्ते हैं प्यार के" (1963) मे एक छोटी भूमिका से की। वे [[शंकर-जयकिशन]] के करीबी थे, जयकिशन ने ही उनका परिचय निर्देशक केवाल कश्यप से करवाया जिन्होनें उन्हे अपनी फिल्म [[शहीद (1965 फ़िल्म)|शहीद]] (1965) में काम दिया। धीरे-धीरे वे उस दौर के प्रमुख खलनायको मे शुमार हो गए, और एक साल तो उनकी लगभग 14 फिल्में एक ही महीने मे प्रदर्शित हुई।हुई, सत्तर के दशक मे जब वे अपने शिखर पर थे,थे। यदि [[मनोज कुमार]], [[शक्ति सामंत]] तथा [[प्रमोद चक्रवर्ती]] में से कोई फिल्म बनाते तो उसमे बगैर उनसे पूछे उन्हे भूमिका दे देते, लेकिन मनमोहन भी कभी किसी को इनकार नही करते। वे [[फ़िल्म निर्देशक|निर्देशक]] भप्पी सोणी की भी सभी फिल्मों मे कार्यरत रहते थे।
 
==प्रमुख फिल्में==