"लोकविभाग": अवतरणों में अंतर
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'''लोकविभाग''' [[विश्वरचना]] सम्बंधी एक [[जैन धर्म|जैन ग्रंथ]] है। इसकी रचना [[सर्वनन्दि]] नामक दिगम्बर जैन मुनि ने मूलतः [[प्राकृत]] में की थी जो अब अप्राप्य है। किन्तु बाद में [[सिंहसूरि]] ने इसका [[संस्कृत]] रूपान्तर किया जो उपलब्ध है। इस ग्रंथ में [[शून्य]] और दाशमिक स्थानीय मान पद्धति का उल्लेख है जो विश्व में सर्वप्रथम इसी ग्रंथ में मिलता है।
इस ग्रन्थ में उल्लेख है कि इसकी रचना ३८० शकाब्द में हुई थी (४५८ ई)।
==शून्य तथा दशमलव पद्धति==
== बाहरी कड़ियाँ ==
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