"अण्डा": अवतरणों में अंतर

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पक्षी जिस तत्परता के साथ अंडे सेते हैं, उसी तत्परता से अपनी संतान का पालन पोषण एवं रक्षण भी करते हैं। संतानरक्षा में बहुधा देखा गया है कि पक्षी अपने प्राण की भी चिंता नहीं करते। संतानरक्षा में तरह-तरह की बहानेबाजियाँ करके ये पक्षी आगंतुक को अचंभे में भी डाले देते हैं। बहुधा ये उसे देखकर इस प्रकार लँगड़ाने लगते हैं, मानो किसी शिकारी द्वारा घायल कर दिए गए हों। दुश्मन शिकारी, बधिक, श्वान, शृगालादि इन्हें पकड़ने की आशा लेकर जब इनका पीछा करते हैं, तो ये दूर तक चकमा देते हुए निकल जाते हैं और तब एकाएक तेजी से उड़कर कहीं चल देते हैं। इस तरह दुश्मन को घोंसले से दूर ले जाकर उसे पथभ्रष्ट कर देते हैं, जिससे वह किसी और दिशा में चल दे तथा नीड़ के शिशुओं पर आई विपदा इस तरह टल जाए। चिड़ियाँ दूसरों की आँख में धूल झोंकना भी खूब जानती हैं। जब वे कभी घिर जाती हैं तो मृतत् होकर जमीन पर लेट रहती हैं, जिसे देखनेवाला उन्हें मृत समझकर आगे की ओर बढ़ जाता है। फिर ये शीघ्र जमीन छोड़कर आगे भाग खड़ी होती है। कभी-कभी पकड़ी जाने पर भी ये मृतक होने का स्वाँग भरती हैं, ताकि हम इन्हें मृत समझकर छोड़ दे।
मनुष्य का अण्डा
 
== इन्हें भी देखें ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/अण्डा" से प्राप्त