"उच्चारण स्थान": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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प्राणता के आधर पर भी व्यंजनों का वर्गीकरण किया जाता है। प्राण का अर्थ है- श्वास वायु। जिन व्यंजन ध्वनियों के उच्चारण में श्वास बल अधिक लगता है उन्हें '''महाप्राण''' और जिनमें श्वास बल का प्रयोग कम होता है उन्हें '''अल्पप्राण''' व्यंजन कहा जाता है। पंच वर्गों में दूसरी और चौथी ध्वनियां महाप्राण हैं। हिन्दी के ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, भ,
==इन्हें भी देखें==
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