"मध्य प्रदेश का पर्यटन": अवतरणों में अंतर
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यहां के देखने योग्य स्थान र्हैं कोषाक महल, बादल महल गेट, जामा मस्ज्दि, शहजादी का रोजा, परमेश्वर ताल आदि। वैसे चन्देरी का महत्व एक प्रमुख शिल्प कला केन्द्र के रूप में अधिक है, यहां की चन्देरी साडी और ब्रोकेड विश्वभर में प्रसिध्द है।
=== [[खजुराहो]] ===
[[चित्र:Khajuraho tempel india.jpg|200px|right|thumb| खजुराहो मंदिर]]
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== पश्चिमी समूह ==
[[चित्र:Khajuraho - Kandariya Mahadeo Temple.jpg|200px|right|thumb|कंदारिया महादेव मंदिर]]
यह खजुराहो के मन्दिरों में सबसे बडा मंदिर है। इसकी ऊँचाई 31 मीटर है। यह एक शिव मन्दिर है, इसके गर्भगृह में एक विशाल शिवलिंग स्थापित है। इस मन्दिर के मुख्य मण्डप में देवी-देवताओं और यक्ष-यक्षिणियों की प्रेम लिप्त तथा अन्य प्रकार की मूर्तियां हैं। ये मूर्तियां इतनी बारीकी से गढी ग़ईं हैं कि इनके आभूषणों का एक-एक मोती अलग से दिखाई देता है और वस्त्रों की सलवटें तक स्पष्ट हैं और शारीरिक गठन में एक-एक अंग थिरकता सा महसूस होता है। इस मन्दिर के प्रवेश द्वार की मेहराबें, गर्भ गृह की छतें और मण्डप के खम्भे अपनी मूर्तिकला की बारीकी के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
यह मन्दिर अपने आप में अनूठा मन्दिर है। माँ काली का यह मन्दिर ग्रेनाईट का बना हुआ है। इसमें माँ काली के चौंसठ अवतारों के विभिन्न रूपों को उकेरा गया है।
चित्रगुप्त मन्दिर, कायस्थो के जनक जो प्रत्येक प्राणी के पाप ओर पुन्य का लेखा रखते है, उन देवता का मंदिर है इसलिए यह मन्दिर पूर्वमुखी है। इस मन्दिर के गर्भगृह में पाँच फीट ऊँचा रथ पत्थरों की शिलाओं पर बहुत सुन्दरता और बारीकी के साथ उकेरा गया है। इस मन्दिर की दीवारों पर उकेरे दृश्य चन्देल साम्राज्य की भव्य जीवन शैली की झाँकी प्रस्तुत करते हैं। मसलन शाही सवारी, शिकार, समूह नृत्यों के दृश्य।
यह मंदिर मुख्यत: ब्रह्मा मन्दिर है। इस मन्दिर में ब्रह्माजी की त्रिमुखी मूर्ति स्थापित है। इस मन्दिर का प्रवेशद्वार बडा प्रभावशाली है, इसके उत्तर में सिंहों की मूर्तियाँ हैं था दक्षिण में बनी सीढियाँ हाथियों की भव्य मूर्तियों तक ले जाती हैं। मन्दिर की ओर मुख किये एक नन्दी बैल की प्रतिमा है।
[[चित्र:Khajuraho-Lakshmana temple.JPG|right|200px|thumb|लक्ष्मण मंदिर, खजुराहो]]
इस वैष्णव मन्दिर के प्रवेशद्वार पर ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश की त्रिमूर्ति स्थित है। इसके नक्काशीदार गर्भगृह में विष्णु के अवतार नरसिंह और वराह भगवान की त्रिमुखी मूर्ति है।
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== पूर्वी समूह ==
यह जैन मन्दिर है। इस मन्दिर की दीवारों पर बहुत सुन्दर मूर्तियाँ उकेरी हैं जो कि दिन-प्रतिदिन की दिनचर्या के सूक्ष्म तथ्यों को दर्शाती हैं। इस मन्दिर में जैनों के प्रथम तीर्थकंर आदिनाथ की प्रतिमा है। इसके पास ही घनताई मन्दिर भी एक जैन मन्दिर है। यहीं एक और आदिनाथ मन्दिर भी है जिसमें मूर्तिकला का सुन्दर उपयोग हुआ है, यहा अन्य आकृतियों के साथ यक्ष-यक्षिणी की भी बहुत सुन्दर मूर्ति हैं।
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== दक्षिण समूह ==
शिव के इस मन्दिर में नृत्यरत अप्सराएं और आभूषणों से सज्जित सुन्दर स्त्रियों की आकृतियाँ महीन बिन्दुओं को भी स्पष्टत: दर्शाती प्रतीत होती हैं। यह अद्भुत उदाहरण हैं मूर्तिकला के।
यह एक विशाल मन्दिर है और अन्य म्न्दिरों की तरह यह भी वास्तु और मूर्तिकला की उत्कृष्ट ऊँचाइयों को छूता है। इस मन्दिर के गर्भ में सुन्दरता से तराशी विष्णु भगवान की प्रतिमा स्थापित है।
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यहाँ वर्ष भर तीर्थयात्रियों का आना-जाना लगा रहता है। यहाँ रामघाट, कामदगिरी, सीता कुण्ड, सती अनुसुया मन्दिर, स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी नदी, हनुमान धारा और भरत कूप आदि उल्लेखनीय स्थान हैं।
=== [[जबलपुर]] ===
[[चित्र:Jabalpur, India - Madan Mahal, c.1865.jpg|right|thumb|200px|मदन महल, जबलपुर]]
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