"मध्य प्रदेश का पर्यटन": अवतरणों में अंतर

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'''विवस्वान सूर्य मन्दिर:''' यह बिरला द्वारा निर्मित करवाया मन्दिर है जिसकी प्रेरणा कोर्णाक के सूर्यमन्दिर से ली गई है।
 
=== [[मुरैना]] ===
 
== प्रमुख आकर्षण ==
''' [[सबलगढ़ का किला]]'''
{{main|सबलगढ़ किला}}
मुरैना के सबलगढ़ नगर में स्थित यह किला मुरैना से लगभग 60 किमी. की दूरी पर है। मध्यकाल में बना यह किला एक पहाड़ी के शिखर बना हुआ है। इस किले की नींव सबल सिंह गुर्जर ने डाली थी जबकि करौली के महाराजा गोपाल सिंह ने 18वीं शताब्दी में इसे पूरा करवाया था। कुछ समय बाद सिंकदर लोदी ने इस किले को अपने नियंत्रण में ले लिया था लेकिन बाद में करौली के राजा ने मराठों की मदद से इस पर पुन: अधिकार कर लिया। किले के पीछे सिंधिया काल में बना एक बांध है, जहां की सुंदरता देखते ही बनती है।
 
'''सिहोनिया'''
{{main|सिहोनिया}}
सास-बहू अभिलेखों से ज्ञात होता है कि सिहोनिया या सिहुनिया कुशवाहों की राजधानी थी। इस साम्राज्य की स्थापना 11वीं शताब्दी में 1015 से 1035 के मध्य हुई थी। कछवाह राजा ने यहां एक शिव मंदिर बनवाया था, जिसे काकनमठ नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि मंदिर का निर्माण राजा कीर्तिराज ने रानी काकनवटी की इच्छा पूरी करने के लिए करवाया था। खजुराहो मंदिर की शैली में बना यह मंदिर 115 फीट ऊंचा है। सिहोनिया जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। यहां 11वीं शताब्दी के अनेक जैन मंदिरों के अवशेष देखे जा सकते हैं। इस मंदिरों में शांतिनाथ, कुंथनाथ, अराहनाथ, आदिनाथ, पार्श्‍वनाथ आदि जैन र्तीथकरों की प्रतिमाएं स्थापित हैं।
 
'''कुतवार'''
चंबल घाटी का यह सबसे प्राचीन गांव कुंतलपुर के नाम से भी जाना जाता है। यह गांव महाभारत काल के हस्तिनापुर, राजग्रह और चढी के समकक्ष प्राचीन माना जाता है। यहां के दर्शनीय स्‍थलों में प्राचीन देवी अंबा या हरीसिद्धी देवी मंदिर तथा आसन नदी पर बना चन्‍द्राकार बांध है।
 
'''पडावली'''
नाग काल के बाद इसी क्षेत्र में गुप्त साम्राज्य की स्थापना हुई थी। पदावली के घरोंन गांव के आसपास अनेक मंदिरों, घरों और बस्तियों के अवशेष देखे जा सकते हैं। यहां एक प्राचीन और विशाल विष्णु मंदिर था जिसे बाद में गढ़ी में परिवर्तित कर दिया गया। इस मंदिर का चबूतरा, आंगन और असेम्बली हॉल प्राचीन संस्कृति के प्रतीक हैं। यहां का क्षतिग्रस्त दरवाजा और सिंह की मूर्ति प्राचीन वैभव की याद दिलाती हैं। पदावली से भूतेश्‍वर के बीच पचास से भी अधिक इमारतें देखी जा सकती हैं।
 
'''मितावली'''
नरसर के उत्तर में एक चौसठ योगिनी मंदिर है जो 100 फीट ऊंची पहाड़ी पर बना है। यह गोलाकार मंदिर दिल्ली के संसद भवन की शैली में निर्मित है। इसकी त्रिज्या 170 फीट है। मंदिर में 64 कक्ष और एक विशाल आंगन बना हुआ है। मंदिर के बीचोंबीच भगवान शिव का मंदिर है।
 
'''पहाडगढ़'''
{{main|पहाड़गढ़}}
पहाडगढ़ से 12 मील की दूरी पर 86 गुफाओं की श्रृंखला देखी जा सकती है। इन गुफाओं को भोपाल की भीमबेटका गुफाओं का समकालीन माना जाता है। सभ्यता के प्रारंभ में लोग इन गुफाओं में आश्रय लेते थे। गुफाओं में पुरूष, महिला, चिड़िया, पशु, शिकार और नृत्य से संबंधित अनेक चित्र देखे जा सकते हैं। यह चित्र बताते हैं कि प्रागैतिहासिक काल में भी मनुष्य की कला चंबल घाटी में जीवंत थी।
 
'''लिखिछज'''
लिखिछज का अर्थ बॉलकनी के समान आगे मुड़ी हुई पहाड़ी होता है। आसन नदी तट की अनेक गुफाओं के समान लिखिछज यहां आने वाले लोगों के आकर्षण के केन्द्र में रहती है। नीचता, कुंदीघाट, बारादेह, रानीदेह, खजूरा, कीत्या, सिद्धावली और हवा महल भी लिखिछत के निकट लोकप्रिय दर्शनीय स्थल हैं।
 
'''नोरार'''
{{main|नोरार}}
8वीं से 12वीं शताब्दी का जालेश्‍वर आज का नोरार है। यहां अनेक मंदिर बने हुए हैं। इन मंदिरों में 21 मंदिर आज भी देखे जा सकते हैं जो पहाड़ी की तीन दिशाओं में है। प्रतिहार नागर शैली में बना जानकी मंदिर यहां का लोकप्रिय मंदिर है। पहाड़ी पर अनेक दुर्लभ कुंड देखे जा सकते हैं। इन कुंडों को पहाड़ी के पत्थरों को काटकर बनाया गया था। यहां अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियां भी देखी जा सकती है।
 
'''नूराबाद'''
नूराबाद की स्थापना जहांगीर के काल में हुई थी। सराय चोला के नाम पर बनी फिजी सराय और कुंवारी नदी पर बना पुल औरंगजेब से लेकर सरदार मोतीबाद खान के काल में बना था। किले की तर्ज पर बनी सराय, सांक नदी पर बना मीनरनुमा पुल और गोना बेगम का मकबरा देखने के लिए पर्यटक नियमित रूप से आते रहते हैं।
 
'''राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य'''
{{main|राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य}}
इस अभ्यारण्य की स्थापना जीव-जंतुओं और वनस्पतियों से संपन्न नदी पारिस्थिती तंत्र को सुरक्षित रखने के लिए की गई थी। मछलियों की विभिन्न प्रजातियों के अलावा डॉल्फिन, मगरमच्‍छ, घडियाल, कछुआ, ऊदबिलाव जैसी जलीय प्रजातियां यहां देखी जा सकती हैं। देवरी का मगरमच्छ केन्द्र हाल ही में पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। बर्ड वाचर्स के लिए भी यह जगह स्वर्ग से कम नहीं है। नवंबर से मार्च के दौरान हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी देखे जा सकते हैं। नदी में बोटिंग का आनंद भी उठाया जा सकता है।
 
=== [[शिवपुरी]] ===