"विदेश मंत्रालय (भारत)": अवतरणों में अंतर

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==विदेश सचिव==
विदेश विभाग के राजनीतिक अध्यक्ष विदेश मन्त्री के अतिरिक्त इस विभाग का एक और विभागीय अध्यक्ष होता है, यह विभाग का सचिव होता है। रोजमर्रा के प्रशासकीय कार्य की हस्ताक्षर, मन्त्रालय के खर्चे का सही उपयोग इसी का उत्तरदायित्व होता है। सामान्यतः विदेश मन्त्री मोटे तौर पर नीति निर्णय आदेश देकर विसृत पूर्ति का कार्य विदेश सचिव पर ही छोड़ देते हैं। विदेश सचिव के सहायतार्थ अनेक संयुक्त सचिव व उप-सचिव होते हैं जो विभिन्न उप-विभागों के अध्यक्ष होते हैं।
 
==प्रोटोकॉल विभाग==
नयाचार (न्य + आचार = प्रोटोकॉल) का कार्य उतना ही प्राचीन है जितना कि स्वयं [[राजनय]]। विदेश राष्ट्राध्यक्षों, प्रधानमन्त्रियों, राजदूतों आदि के साथ व्यवहार के नियमों को प्रोटोकॉल के नियम कहते हैं। ये निश्चित नियम होते है। इस विभाग का अध्यक्ष (Chief of Protocol) आवाभगत, स्वागत आदि के शिष्टाचार के नियमों का विधिवत पालन को सुनिश्चित करता है। स्वागत पार्टी हो अथवा भोज, रेलवे स्टेशन पर आगमन हो अथवा हवाई अड्डे पर, भोज में बैठने की व्यवस्था हो अथवा स्वेदशी अधिकारियों का परिचय, इन सभी परिस्थितियों में प्रोटोकॉल के नियमों का पालन विभागाध्यक्ष की सूझबूझ, कुशलता और योग्यता पर निर्भर करता है।
 
==महासचिव==
चूँकि नेहरू प्रधानमन्त्री होने के साथ-साथ विदेश मन्त्री भी थे, अतः कार्य की अधिकता होने के कारण यह सोचा गया कि विदेश विभाग के कार्य को देखने के लिये एक योग्य व्यक्ति को नियुक्त किया जाये जो उन्हें सही परामर्श दे सके। 1947 से 1964 तक (एक वर्ष 1952 को छोड़) विदेश विभाग का कार्य भार एक महासचिव (Secretary General) सर गिरिजा शंकर वाजपेयी पर था। नेहरू का इन पर अटूट विश्वास था और वे इनसे निरन्तर परामर्श लेते रहते थे। 1964 में प्रधानमन्त्री [[लाल बहादुर शास्त्री]] द्वारा [[सरदार स्वर्णसिंह]] के विदेशमन्त्री नियुक्त कर देने पर यह सोचा गया कि अब महासचिव की आवश्यकता नहीं है, अतः यह पद समाप्त कर दिया गया। विदेश सचिव ही विभाग
का सर्वोच्च अधिकारी माना जाता है।
 
==इन्हें भी देखें==
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* [http://www.mea.gov.in/index-hi.htm विदेश मन्त्रालय] {{hi icon}}
* [http://www.mea.gov.in/ विदेश मन्त्रालय] {{en icon}}
 
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[[श्रेणी:भारत सरकार]]