"धारिता": अवतरणों में अंतर

धारिता
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किसी चालक की '''वैद्युत धारिता''' (कैपेसिटी या कैपेसिटेंस), उस चालक की वैद्युत आवेश का संग्रहण करने की क्षमता की माप होती है। जब किसी चालक को [[आवेश]] दिया जाता है तो उसका वैद्युत विभव आवेश के अनुपात में बढता जाता है। यदि किसी चालक को q आवेश देने पर उसके विभव में V वृद्दिवृद्धि हो, तो
: q अनुक्रमानुपाती V
: q = CV
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: 1 फैरड =1 कूलाम/वोल्ट
धारिता का emu में मात्रक ‛स्टेट फैरड’होताफैरड’ होता है।
: 1 फैरड =9×1000000000000स्टेट9×1000000000000 स्टेट फैरड
 
3: 1 माइक्रोफैरड = 110<sup>-6</10000000फैरडFsup> फैरड
: 1 नैनोफैरड=110<sup>-9</10000000000sup> फैरड
: 1 पीकोफैरड=110<sup>-12</10000000000000sup> फैरड
इसी प्रकार C=q/v से-
 
यदि v=1वोल्ट,c C=q
तो किसी चालक की वैधुत धारिता चालक को दी गयी आवेश की वह मात्रा है जो चालक के विभव में एक वोल्ट का परिवर्तन कर दे।
 
वैधुत धारितधारिता एक [[अदिश राशि]] है। वैधुत धारिता का मान सदेवसदैव धनात्मक होता है। क्योकि चालक पर आवेश तथा इसके कारण विभव में परिवर्तन के चिन्ह सामान होते है।हैं। धारिता का विमीय सूत्र -
[M<sup>-1</sup>·L<sup>-2</sup>·T<sup>-4</sup>·I<sup>-2</sup>] है। चालक के माध्यम का परवैधुतांक[[परावैद्युतांक]] बढ़ने से धारिता भी बढती है।
 
किसी चालक की धारिता निम्न तथ्यों पर निर्भर नहीं करती है-
 
1 चालक के आवेश पर - q का मन बढ़ने पर v का मन भी उसी अनुपात में बढ़ता है। अतः धारिता नियत रहती है।
 
2 चालक के पढ़ार्थ पर
 
किसी चालक की धारिता निम्न तथ्यों पर '''निर्भर नहीं करती है'''-
नोट - यदि सूत्र c=q/v से v=0 तो c=∞ अतः धारिता अनन्त होगी। चूँकि पृथ्वी का विभव 0 होता है। तो पृथ्वी की धारिता अनन्त होगी। अतः प्रथ्वी अनन्त आवेश संगृहीत कर सकती है।
 
1*(१) चालक के आवेश पर - q का मन बढ़ने पर v का मन भी उसी अनुपात में बढ़ता है। अतः धारिता नियत रहती है।
c का विमीय सूत्र -[T×T×T×T×A×A/M×L×L]
 
2*(२) चालक के पढ़ार्थ पर
मानवीय विश्लेषण-1 किसी चालक का विभव जितना कम होगा अर्थात वैधुत स्थतिज ऊर्जा जीतनी कम होगी धारिता उतनी ही ज्यादा होगी।
 
'''नोट''' - यदि सूत्र c=q/v से v=0 तो c=∞ अतः धारिता अनन्त होगी। चूँकि पृथ्वी का विभव 0 होता है। तो पृथ्वी की धारिता अनन्त होगी। अतः प्रथ्वी अनन्त आवेश संगृहीत कर सकती है।
2 चालक के माध्यम का परवैधुतांक बढ़ने से धारिता भी बढती है।
 
4 इसी प्रकार जब हम किसी चालक को आवेश देते है तो चालक के विभव का आंकिक मान बढ़ता है। यदि चालक को आवेश लगातार देते जाये तो चालक स्थतिज ऊर्जा का संचय नहीं कर पता अर्थात वैधुत रोधन क्षमता समाप्त हो जाती है। तथा आवेश लीक होने लगता है। इस स्थिति में विभव का मान अधिकतम होता है। ओर इस प्रकार चालक द्वारा आवेश की एक निश्चित मात्रा का संग्रह ही संभव है।
3 1 माइक्रोफैरड = 1/10000000फैरडF
1 नैनोफैरड=1/10000000000 फैरड
1 पीकोफैरड=1/10000000000000
फैरड F
धारिता का emu में मात्रक ‛स्टेट फैरड’होता है।
 
4 इसी प्रकार जब हम किसी चालक को आवेश देते है तो चालक के विभव का आंकिक मान बढ़ता है। यदि चालक को आवेश लगातार देते जाये तो चालक स्थतिज ऊर्जा का संचय नहीं कर पता अर्थात वैधुत रोधन क्षमता समाप्त हो जाती है। तथा आवेश लीक होने लगता है। इस स्थिति में विभव का मान अधिकतम होता है। ओर इस प्रकार चालक द्वारा आवेश की एक निश्चित मात्रा का संग्रह ही संभव है।
इसी का परोक्ष उदाहरण यह है की जब हम खली बर्तन को जल में डालते है तो बर्तन में पानी निश्चित मात्रा तक ही बढ़ पता है और पानी तदुपरान्त बर्तन से बाहर आने लगता है। इसे बर्तन की धारिता कहते है।इसे मिलीलीटर,लीटर आदि से व्यक्त करते है।