"विज्ञापन अभियान": अवतरणों में अंतर

No edit summary
पंक्ति 1:
{{स्रोतहीन|date=मई 2015}}
विज्ञापन आज के समय मेमेँ अतिरन्जितअतिरञ्जित यथार्थ के अलावा कुछ भी नही है। वह लोगोलोगों को उकसाकरउकसा कर किसी खाशखास उत्पाद को खरीदने के लिये प्रेरित करता है। लेकिन यह आसान काम नही है। बेह्तरबेहतर विज्ञापन प्रभाव पैदा करने के लिये विज्ञापन अभीयान चलाया जाता है। यह असल मेमेँ लक्षित-समुह को ध्यान मेमेँ रख चलाया जाता है। फौजी अभियान कि तरह्तरह एक सुव्यवस्थित रननीतिरणनीति अपनायीअपनाई जाती है।<ref>Belch, George, and Belch, Michael, eds. 2004. Advertising and Promotion: an integrated marketing communications perspective. MacGraw-Hill/Irwin.</ref>
 
==प्रकार==
===भय===
लोगों का ध्यान चाहे किसी अन्य पत्र या लेख या छवि पर जाये या न जाये लेकिन किसी को अपने जान आदि का भय होने पर वह उस पर अवश्य ही ध्यान देता है। इस प्रकार के विज्ञापन अभियान में लोग किसी तरह का भय या डर दिखा कर अपनी विज्ञापन योजना को पूर्ण करते हैं। इसी तरह का विज्ञापन वर्ष 2007 में [[बोस्टन में बम से भय २००७]] हुआ था। जिसमें बोस्टन के 10 शहरों में एक तरह का [[एलईडी]] रोशनी वाला उपकरण जिसमें विज्ञापन हेतु उसकी छवि बनी हुई थी। उसे लगाया गया था। जिसे किसी आम नागरिक ने बम समझ कर पुलिस को फोन कर दिया और सभी समाचार वाले भी इस घटना को अपने अखबार या अन्य माध्यम में देने हेतु आ गए।
===लालच===
किसी भी सामान के साथ कुछ मुफ्त में देना एक प्रकार का विज्ञापन का ही हिस्सा है। इसमें कोई भी इस तरह का कोई सामान दे देता है। जिससे कोई भी उस सामान को खरीदना चाहे। जैसे की किसी एक वस्तु को खरीदने पर आप जीत सकते हैं एक करोड़ का इनाम आदि। इससे कोई भी यह सोचता है की वह इस वस्तु को कम दाम में खरीद लेगा और हुआ तो इनाम भी मिल जाएगा। इस कारण कई बार लोग आवश्यकता से अधिक भी खरीद लेते हैं या कई बार अनावश्यक वस्तु भी खरीद लेते हैं।
===आवश्यकता===
किसी भी क्षेत्र में किसी न किसी अन्य वस्तु की आवश्यकता रहती ही है। इसका लाभ विज्ञापन अभियान में उठाया जाता है। उदाहरण के लिए यदि किसी को अपना कोई सामान बेचना है, तो वह देखेगा की लोग किस वस्तु के पीछे जा रहे हैं। वह उस वस्तु को स्वयं अधिक संख्या में खरीद लेगा। जिसे जमा खोरी भी कहते हैं। उसके बाद वह किसी विज्ञापन में कह देगा की यदि आपको इस वस्तु को खरीदना है तो हमारे पास आयें। इस तरह के कुछ उदाहरण खाने के सामान में अधिक होते हैं। क्योंकि कोई भी खाने के सामान को हमेशा के लिए नहीं रख सकता है। इसकी सभी को दैनिक रूप से आवश्यकता पड़ती है। इस कारण कई कंपनी प्याज, टमाटर आदि जिसका उपयोग लोग सब्जी खाना बनाने में करते ही हैं। उसे स्वयं खरीद कर उसे किसी जगह पर रख देता है। इसके बाद जब वह वस्तु बाजार में कम हो जाती है तो उसके दाम बढ़ जाते हैं। इसके बाद जब वह समाप्त हो जाता है या उसके दाम बहुत बढ़ जाती है तब कंपनी उसे बेचती है। लेकिन कभी कभी जमा खोरी का पता न लग जाये इस कारण वह उसे अपने किसी वस्तु के साथ एक किलो मुफ्त आदि बोल कर बेचती है। जिससे किसी को भी लगता है की इतनी महंगी वस्तु यदि मुफ्त में मिल रही है तो क्यों न ले। लेकिन इसके पीछे अन्य वस्तु में लगाने वाले पैसे की कोई भी नहीं सोचता है।
 
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
==बाहरी कड़ियाँ==
[[श्रेणी:विज्ञापन अभियान]]