"चीनी लिपि": अवतरणों में अंतर

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== चीनी लिपि की विभिन्न शैलियाँ ==
हुनान प्रांत में अनयांग की खुदाई के समय कछुओं की अस्थियों पर शांगकालीन (1766-1122 ई.पू.) जो लेख मिले हैं उनसे पता लगता है कि आज से लगभग 3000 वर्ष पूर्व चीन के लोग लिखने की कला से परिचित थे। इस प्रांत के निवासियों का विश्वास था कि इन अस्थियों में जादू है। इन्हें आग पर तपाने से इनपर जो दरारें पड़ जाती थीं उन्हें देखकर पंडित लोग भविष्य का बखान करते थे। कछुओं की अस्थियों के अतिरिक्त, पशुओं की टाँगों और कंधों की हड्डियों पर भी लेख लिखे जाते थे। "चू" राजवंशों के काल में (1122-221 ई.पू.) चीन निवासी काँसे के बर्तनों पर लिखने लगे थे। इस काकाल में चीनी भाषा में बहुत से नए वर्णो का समावेश किया गया। अब बाँस या लकड़ी की नुकीली कलम की जगह बालों के बने ब्रुश से लोग लिखने लगे थे। क्रमश: उत्तर में चीन की बड़ी दीवार से लेकर दक्षिण की ओर ह्वाई नदी की घाटी तक चीनी लिपि का प्रचार बढ़ा। इसके पश्चात् "छिन" राज्यकाल (221-206 ई.पू.) में सम्राट् शिह ह्वांग ने चीनी लिपि को एक रूप देने के लिय चीन भर में छिन लिपि का प्रचार किया। लेकिन इस लिपि के कठिन होने के कारण सरकारी फर्मानों के लिखने पढ़ने में बहुत दिक्कत होती थी, इसलिये इस समय "लि" लिपि का प्रचार किया गया जिसमें मुड़ी हुई रेखाओं और गोलाकार कोणों के स्थान पर कोण की सीधी रेखाएँ बनाई जान लगी। इस समय काँसे की जगह बाँस की पट्टियों पर लिखने लगे। इस प्रकार चीनी लिपि को सुव्यवस्थित और एकरूप बनाने के लिये चीन के लोग लगातार परिश्रम करते रहे। "हान" राजवंशों (206 ई.पू. से 221 ई.) और छिन राजवंशों के काल (265-420 ई.) में घसीट और शीघ्रलिपि शैली का प्रचार बढ़ा। ईसवी सन् की चौथी शताब्दी में सुलेखक वांग शिह-छि ने सुंदर अक्षरोंवाली एक आदर्श शैली को जन्म दिया जिससे अधिक व्यवस्थित, सुडौल और चौकोर अक्षर लिखे जाने लगे। आज भी लिखने की यही शैली चीन में प्रचलित है।
 
== एकाक्षरप्रधान भाषा ==