"पूंजीवाद": अवतरणों में अंतर

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राष्ट्रीयकरण की योजनाओं से नियंत्रण की मात्रा में वृद्धि हुई और स्वतंत्र अर्थव्यवस्था को जबर्दस्त धक्का लगा। प्रत्येक राष्ट्र के सम्मुख यह समस्या रहती है, कि वह अपनी आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार व्यवस्थाएँ करे। व्यवस्था के निर्णय, उपलब्ध श्रमशक्ति और आर्थिक स्रोतों पर निर्भर करते हैं। राज्य प्रतिनिधियों और योजनाविदों के सम्मुख उत्पादन के रूप, मात्रा और तरीके आदि के प्रश्न रहते हैं। समाजवादी व्यवस्था के अंतर्गत इसके लिए सरकारों और सरकार द्वारा नियुक्त योजनासमितियों द्वारा निर्णय किए जाते हैं। पूँजीवादी व्यवस्था के अंतर्गत एक व्यक्ति या समूह को अपने आर्थिक नियोजन का स्वतंत्र अधिकार रहता है।
 
[[श्रेणी:आर्थिक प्रणालियाँ]]