"समयसार": अवतरणों में अंतर

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'''समयसार''', [[आचार्य कुन्दकुन्द]] द्वारा रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इसके दस अध्यायों में जीव की प्रकृति, [[कर्म]] बन्धन, तथा [[मोक्ष]] की चर्चा की गयी है।
 
यह ग्रंथ दो-दो पंक्‍तियों से बनी 415 [[गाथा]]ओं का संग्रह है। ये गाथाएँ [[पालि|पालि भाषा]] में लिखी गई है। इस समयसार के कुल नौ अध्‍याय है जो क्रमश: इस प्रकार हैं{{sfn|जैन|२०१२|p=१}}-
* जीवाजीव अधिकार
* कर्तृ-कर्म अधिकार
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वर्तमान में समयसार ग्रन्थ पर दो टीकायें उपलब्ध हैं। एक श्री अमृतचंद्रसूरि की, दूसरी श्री जयसेनाचार्य की। पहली टीका का नाम 'आत्मख्याति' है और दूसरी का नाम ‘‘तात्पर्यवृत्ति’’ है।
 
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
==स्त्रोत ग्रन्थ==
*{{citation
|last=जैन
|first=विजय कुमार
|title=आचार्य कुन्दकुन्द समयसार
|url=https://archive.org/details/AcharyaKundkundsSamayasara
|year=२०१२
|publisher=Vikalp Printers
|isbn=978-81-903639-3-8
|quote=Non-Copyright}}
 
==बाहरी कड़ियाँ==