"प्रफुल्ल चाकी": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: दिनांक लिप्यंतरण और अल्पविराम का अनावश्यक प्रयोग हटाया।
पंक्ति 7:
 
== बलिदान ==
[[चित्र:Prafulla Chaki - Wikimedia Photowalk Kolkata 20111218 IMG 4572.jpg|right|thumb|300px|[[कोलकाता]] के विनय-बादल-दिनेश बाग में प्रफुल्ल चाकी की प्रतिमा]]
दोनों क्रांतिकारियों ने समझ लिया कि वे किंग्सफोर्ड को मारने में सफल हो गए हैं। वे दोनों घटनास्थल से भाग निकले। प्रफुल्ल चाकी ने [[समस्तीपुर]] पहुँच कर कपड़े बदले और टिकिट खरीद कर रेलगाड़ी में बैठ गए। दुर्भाग्य से उसी में पुलिस का सब इंस्पेक्टर नंदलाल बनर्जी बैठा था। उसने प्रफुल्ल चाकी को गिरफ्तार करने के उद्देश्य से अगली स्टेशन को सूचना दे दी। स्टेशन पर रेलगाड़ी के रुकते ही प्रफुल्ल को पुलिस ने पकड़ना चाहा लेकिन वे बचने के लिए दौड़े। परन्तु जब प्रफुल्ल ने देखा कि वे चारों ओर से घिर गए हैं तो उन्होंने अपनी रिवाल्वर से अपने ऊपर गोली चलाकर अपनी जान दे दी। यह घटना १ मई १९०८ की है। [[बिहार]] के [[मोकामा]] स्टेशन के पास प्रफुल्ल चाकी की मौत के बाद पुलिस उपनिरीक्षक एनएन बनर्जी ने चाकी का सिर काट कर उसे सबूत के तौर पर मुजफ्फरपुर की अदालत में पेश किया। यह अंग्रेज शासन की जघन्यतम घटनाओं में शामिल है।<ref>{{cite web |url= http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_5056754.html|title=छात्र आंदोलन की उपज थे प्रफुल्ल चाकी|accessmonthday=[[१८ नवंबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=जागरण|language=}}</ref> खुदीराम को बाद में गिरफ्तार किया गया था व उन्हें फांसी दे दी गई थी।