"त्रिभाषा सूत्र": अवतरणों में अंतर

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त्रिभाषा सूत्र संविधान में नहीं है। सन् 1956 में अखिल भारतीय शिक्षा परिषद् ने इसे मूल रूप में अपनी संस्तुति के रूप में मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में रखा था और मुख्यमंत्रियों ने इसका अनुमोदन भी कर दिया था। 1968 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसका समर्थन किया गया था और सन् 1968 में ही पुन: अनुमोदित कर दिया गया था। सन् 1992 में संसद ने इसके कार्यान्वयन की संस्तुति कर दी थी।
 
यह संस्तुति राज्यों के लिए बाध्यता मूलक नहीं थी क्योंकि शिक्षा राज्यों का विषय है। सन् 2000 में यह देखा गया कि कुछ राज्यों में हिन्दी और अंग्रेजी के अतिरिक्त इच्छानुसार संस्कृत, अरबी, फ्रेंच, तथा पोर्चुगीज भी पढ़ाई जाती हैं। त्रिभाषा सूत्र में 1-शास्त्रीय भाषाएं जैसे [[संस्कृत]], [[अरबी]], [[फारसी]]। 2-राष्ट्रीय भाषाएं 3-आधुनिक यूरोपीय भाषाएं हैं। इन तीनों श्रेणियों में किन्हीं तीन भाषाओं को पढ़ाने का प्रस्ताव है। संस्तुति यह भी है कि हिन्दीभाषी राज्यों में दक्षिण की कोई भाषा पढ़ाई जानी चाहिए।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==