"कटनी": अवतरणों में अंतर

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कटनी (जो की मुरवारा के नाम से भी जाना जाता हैं )'चूना पत्थर के शहर' के नाम से लोकप्रिय उत्तरी [[मध्य प्रदेश]] का '''कटनी''' 4950 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह [[कटनी जिला]] का मुख्यालय है। ढीमरखेड़ा, बहोरीबंद, मुरवाड़ा और करोन्दी यहां के लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं। मुड़वाड़ा कटनी, छोटी महानदी और उमदर यहां से बहने वाली प्रमुख नदियां हैं। कटनी का स्लिमनाबाद गांव संगमरमर के पत्थरों के लिए प्रसिद्ध है।
 
कटनी नगर का नामकरण [[कटनी नदी]] के नाम पर हुआ है। इस नदी पर नगर पश्चिम में 2किमी दूर कटाए घाट है। वास्तव में यह 'कटाव घाट' है, उस कटाव पहाड़ी का जो [[बहोरीबंद]] में है। घाट का आशय चढ़ाव है। डॉ॰ [[शिवप्रसाद सिंह]] के उपन्यास 'नीला चाँद' में इस कटाव घाट के रास्ते से होकर युद्ध के लिए जाने की सलाह [[काशी नरेश]] को दी जाती है। 'मध्यप्रदेश की बारडोली ' कटनी - यह गौरवशाली उपाधि इसलिए मिली कि नगर एवं पचासों गाँव गँवइयों के लोगोँ ने देश की आज़ादी की लड़ाई में बापू का साथ दिया था। प्रदेश में सबसे बढ़कर संख्या बल जेल जाने वालोँ का यहाँ के लोगों का था। माता [[कस्तूरबा]] से मुलाकात करने यहाँ के रेल्वे प्लेटफार्म पर उनके बड़े पुत्र यहाँ आए थे। साहित्य में उल्लेखनीय है [[विजयराघवगढ़]] रियासत के [[ठाकुर जगमोहन सिंह]] के काव्य-उपन्यास 'श्यामा स्वप्न' की भारतेंदुकालीन परंपरा। आगे गाँधीवादी कवि [[राममनोहर बृजपुरिया]] सम्राट के बाद कथा कविता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण लेखक कटनी में हुए। कहानी उपन्यास एवँ व्यंग्य लेखन में सर्वाधिक उल्लेखनीय हैँ - सुबोधकुमार श्रीवास्तव, देवेन्द्र कुमार पाठक। कविता की गीत नवगीत लेखन परंपरा को समृद्ध करने वाले सुरेंद्र पाठक, राम सेंगर, राजा अवस्थी आदि के अलावा ओम रायजादा, अनिल खंपरिया ग़ज़ल गीत के सशक्त हस्ताक्षर हैँ। मंचके कवियोँ की परंपरा भी यहाँ खूब समृद्ध है। 'किरण' यहाँ पर कला संगीत का सक्रिय मंच है। बघेली, बुँदेली और गोंडी बोलियों की त्रिधारा कटनी को बोलियों का प्रयाग बनाती है। किन्नर प्रत्याशी कमला जान ने नगर महापौर बनकर पूरे देश में कटनी की धूम मचा दी थी। करमा, राई, फाग, भगत आदि लोकनृत्य लोकगीत यहाँ नाचे गाए जाते हैँ
"https://hi.wikipedia.org/wiki/कटनी" से प्राप्त