"रणबीर दण्ड संहिता": अवतरणों में अंतर

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#रणबीर दंड संहिता की धारा 190 के तहत सरकार ऐसे किसी भी व्यक्ति को सज़ा दे सकती है जो ऐसी सामग्री प्रकाशित या वितरित करे जिसे सरकार द्वारा अमान्य या ज़ब्त किया गया हो। इस मामले में अपराध का निरधारण करने का अधिकार मुख्यमंत्री का है। इस विशेष धारा द्वारा पत्रकारिता, सोच और विचार, व्यक्त की स्वतंत्रता बुरी तरह से प्रभावित होती है।
 
===रणबीर डंददंड संहिता में व्याख्यित वह मुद्दे जो भारतीय दंड संहिता में नहीं हैं==
#रणबीर दंड संहिता की धारा 167 A के मुताबिक़ जो भी सरकारी कर्मचारी किसी ठेकेदार को उसके नाकरदा काम के लिए भुगतान स्वीकार करते हैं, वह कानूनी तौर पर सजा के हकदार हैं। रिश्वतखोरी से जुड़ी यह महत्वपूर्ण धारा आईपीसी में मौजूद नहीं है।
#रणबीर दंड विधान की धारा 420 A सरकार और सक्षम अधिकारी अथवा प्राधीकरण की ओर से किसी समझौते में छल अथवा धोखाधड़ी की सजा का निर्धारण करती है। ऐसा स्पष्ट व्याकरण आईपीसी में नहीं है।
#रणबीर दंड संहिता की धारा 204 A साक्ष्य मिटाने या बिगाड़ने की सज़ा का स्पष्ट निर्धारण करती है। इस वषय पर ऐसी स्पष्टीकरण आईपीसी में नहीं है।
#रणबीर दंड संहिता की धारा 21 सार्वजनिक नौकरी का दायरा व्याख्यित करती है जबकि भारतीय दंड संहिता में इसका दायरा सीमित है।
 
==इन्हें भी देखें==