"भारतीय गणित": अवतरणों में अंतर

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:''त्रयास्त्रंशच्च मे यज्ञेन कल्पन्ताम्॥'' 18.24
 
अर्थात् [[यज्ञ]] के फलस्वरूप हमारे निमित्त एक -संख्यक [[स्तोम]] (यज्ञ कराने वाले), तीन, पांच, सात, नौ, ग्यारह, तेरह, पन्द्रह, सत्रह, उन्नीस, इक्कीस, तेईस, पच्चीस, सत्ताइस, उनतीस, इकतीस और तैंतीस संख्यक स्तोम सहायक होकर अभीष्ट प्राप्त कराएं। इस श्लोक में विषम संख्याओं की [[समांतर श्रेणी]] प्रस्तुत की गई है-
 
: 1, 3, 5, 7, 9, 11, 13, 15, 17, 19, 21, 23, 25, 27, 29, 31, 33