"दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (भारत)": अवतरणों में अंतर

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'''दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३''' (Code of Criminal Procedure, 1973) [[भारत]] में [[आपराधिक कानून]] के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है। यह सन् १९७३ में पारित हुआ तथा १ अप्रैल १९७४ से लागू हुआ।
'सीआरपीसी' दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम है। जब कोई अपराध किया जाता है तो सदैव दो प्रक्रियाएं होती हैं, जिन्हें पुलिस अपराध की जांच करने में अपनाती है। एक प्रक्रिया पीड़ित के संबंध में और दूसरी आरोपी के संबंध में होती है। सीआरपीसी में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है। 'आइपीसी' [[भारतीय दंड संहिता]] का संक्षिप्त नाम है।
 
कुछ प्रकार के मानव व्यवहार ऐसे होते हैं जिसकी कानून इजाजत नहीं देता। ऐसे व्यवहार करने पर किसी व्यक्ति को उनके परिणामों का सामना करना पड़ता है। खराब व्यवहार को अपराध या गुनाह कहते हैं और इसके परिणाम को दंड कहा जाता है।
कुछ प्रकार के मानव व्यवहार ऐसे होते हैं जिसकी कानून इजाजत नहीं देता। ऐसे व्यवहार करने पर किसी व्यक्ति को उनके परिणामों का सामना करना पड़ता है। खराब व्यवहार को अपराध या गुनाह कहते हैं और इसके परिणाम को दंड कहा जाता है। जिन व्यवहारों को अपराध माना जाता है उनके बारे में और हर अपराध से संबंधित दंड के बारे में ब्योरा मुख्यतया आइपीसी में दिया गया है।
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[भारतीय दण्ड संहिता]]
* [[भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872]]
 
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://bipard.bih.nic.in विधि-व्यवस्था संधारण एवं दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधान]
 
{{भारतीय विधि}}