"लोमश": अवतरणों में अंतर
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'''लोमश''' [[रामकथा]] के वक्ताओं में से एक महर्षि थे। शरीर पर रोएँ अधिक होने से इन्हें यह नाम मिला था। कथा है कि सौ वर्षों तक [[कमल]]पुष्पों से इन्होंने [[शिव]] जी की [[पूजा]] की थी, इसी से इन्हें यह [[वरदान]] मिला था कि कल्पांत होने पर इनके शरीर का केवल एक बाल झड़ा करेगा। ये सदा [[तीर्थ|तीर्थाटन]] किया करते थे और बड़े धर्मात्मा थे। तीर्थाटन के समय [[युधिष्ठिर]] ने इनसे अनेक आख्यान सुने थे। इन्होंने [[दुर्दम]] राजा को [[देवी भागवत]] की कथा पाँच बार सुनाई थी जिससे [[रवत]] नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी। इन्होंने [[नर्मदा]] स्नान का निर्देश कर पिशाचयोनि में प्रविष्ट गंधर्वकन्याओं आदि का उद्धार किया था। इनके लिखे ये दो ग्रंथ बताए जाते हैं - लोमशसंहिता तथा लोमशशिक्षा। इनके नाम पर एक 'लोमाश रामायण' भी प्राप्त है।
[[श्रेणी:रामायण के पात्र]]
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