"भारतीय अधिराज्य": अवतरणों में अंतर

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|region = [[दक्षिण एशिया]]([[भारतिय उपमहाद्वीप]])
|country = भारत
|era = मध्य 20वीं२०वीं सदी, [[शीत युद्ध]]
|government_type = [[संवैधानिक राजतंत्र]]
|
|year_start = 1947१९४७
|year_end = 1950१९५०
|life_span = 1947–1950१९४७-१९५०
|event_start = [[भारतिय स्वतंत्रता अधिनियम]]
|date_start = 15१५ अगस्त
|event_end = [[भारत का संविधान|संविधान]] का प्रवर्तन
|date_end = 26२६ जनवरी
|event1 = [[भारत-पाकिस्तान के बीच प्रथम युद्ध|प्रथम भारत-पाक युद्ध 1947१९४७]]
|date_event1 = 22२२ अकटूवर 1947१९४७
|event2 =
|date_event2 =
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|leader1 = [[जार्ज षष्ठम|जौर्ज (षष्ठम)]]
|year_leader1 = 1936१९३६-1950१९५०
|title_leader = शासक
|
|representative1 = [[लाॅर्ड माउंटबैटन]]
|representative2 = [[चक्रवर्ती राजागोपालाचारी]]
|year_representative1 = 1947–1948१९४७-१९४८
|year_representative2 = 1948–1950१९४८-१९५०
|title_representative = गवर्नर-जनरल(महाराज्यपाल)
|
|deputy1 = [[जवाहरलाल नेहरू]]
|year_deputy1 = 1947१९४७-1950१९५०
|title_deputy = [[भारत के प्रधानमंत्री|प्रधानमंत्री]], (पूर्वतः [[भारत के राज्यसचिव|राज्यसचिव]])
|
|legislature = [[भारत की संविधान सभा|संविधानसभा]]
|
|stat_year1 = 1950१९५०
|stat_area1 = 328726332,87,263
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|footnotes =
}}
 
'''भारत अधिराज्य''', मौजूदा [[भारत]](अर्थात् [[भारत गणराज्य]]) की संक्रमणकालीन अवस्था थी। यह 3 साल तक; 1947१९४७ से 1950१९५० में संविधान के प्रवर्तन तक, अस्तित्व में रही थी। रह मूल रूप से भारत में ब्रिटिश-उपनिवैषिक शासिन अवस्था से स्वतंत्र, स्वायत्त, लोकतांत्रिक, भारतिय गणराज्य के बीच की अस्थाई शासन अथ्वा राज्य थी। इसे आधिकारिक रूप से [[हिंदी]] में '''भारत अधिराज्य''' एवं [[अंग्रेज़ी]] में '''डोमीनियन ऑफ़ इंडिया'''({{lang-en|Dominion of India}}) कहा जाता था। सन 1947१९४७ में [[ब्रितानियाई संसद]] में '''भारतिय स्वतंत्रता अधीनियम''' पारित होने के बाद, अधिकारिक तौर पर, [[यूनाईटेड किंगडम]] की सरकार ने भारत पर अपनी प्रभुता त्याग दी और भारत में स्वशासन अथवा स्वराज लागू कर दिया। इसके साथ ही [[ब्रिटिश भारत]](ब्रिटिश-भारतिय उपनिवेष) का अंत हो गया और भारत [[कनाडा|कैनडा]] और [[ऑस्ट्रेलिया]] की हि तरह एक [[स्वायत्तयोपनिवेष]](डोमीनियन) बन गय, (अर्थात [[ब्रिटिश साम्राज्य]] में ही स्वायत्त एकाई)। ब्रिटिश संसद के भारत-संबंधित सारे विधानाधिकारों को (1945 में गठित) [[भारत की संविधान सभा]] के अधिकार में सौंप दिया गया, [[भारत]], [[ब्रिटिश-राष्ट्रमंडल प्रदेश]] का सहपद सदस्य भी बन गया साथ ही [[ब्रिटेन]] के राजा ने '''[[भारत के सम्राट]]''' का शाही ख़िताब त्याग दिया। ब्रिटिश स्वयत्तयोपनिवेष एवं रष्ट्रमंडल प्रदेश का हिस्सा होने के नाते [[इंगलैंड]] के राजा '''[[जार्ज षष्ठम|ज्यौर्ज (षष्ठम)]]''' को भारत का राष्ट्राध्यक्ष बनाया गया एवं आन्य राष्ट्रमंडल देशों की तरह ही भारतिय लैहज़े में उन्हें [[भारत के राजा]] की उपादी से नवाज़ा गया(यह पद केवल नाम-मात्र एवं शिश्टाचार के लिये था), भारत में उनका प्रतिनिधिताव '''भारत के महाराज्यपाल'''(गवरनर-जनरल) के द्वारा होता था। 1950 में [[भारत का संविधान|संविधान]] के लागू होने के साथ ही भारत एक पूर्णतः स्वतंत्र गणराज्य बन गया और साथ ही '''भारत के राजा''' के पद को हमेशा के लिये स्थगित कर दिया गया, और भारत के संवंधान द्वरा स्थापित लोकतांत्रिक प्रकृया द्वारा चुने गए [[भारत के राष्ट्रपति|भारत के महामहिं राष्ट्रपति]] के पद से बदल दिया गया। इस बीच भारत में दो महाराज्यपालों को नियुक्त किया गया, महामहिं महाराज्यपाल लाॅर्ड माउण्टबैटन और महामहिं महाराज्यपाल चक्रव्रती राजागोपालाचारी।
 
==इतिहास==
{{मुख्य|भारत का विभाजन}}
भारत में [[ब्रिटिश भारत|ब्रिटिश-उपनिवेशिक-काल]] के दैरान स्वशासन व स्वराज की मांगें कई बार उठती रहीं पर ब्रिटिश सरकार ने इन मांगों को हर बार खारिज कर दिया व सारे आंदोलनों को बल द्वारा दबाने की कोशिश करती रही। परंतू 1920 के दशक में '''स्वराज''' के लिये शुरू हुए इस आंदोलन को '''पूर्ण-स्वराज''' में परिवर्तित होने में देर नहीं लगी। तमाम उतार-चढ़ावों के बाद करीब 30 वर्षों के बाद 1947१९४७ अंग्रेज़ सरकार ने भारत को स्वराज प्रदान करने का फ़ैसला कर लिया। [[महात्मा गांधी]] द्वारा शुरू किये गए [[नमक सत्याग्रह]] की सफ़लता व उसे मिले विशाल जनसमर्थन के बाद अंग्रेज़ सरकार समझ गई थी की भारत को ज़यादा समय तक अब विदेशी-नियंत्रण में रखना असंभव था, और [[स्वतंत्रता]] केवल समय की बात रह गई थी। कौंग्रेस द्वारा किये गए '''[[पूर्ण स्वराज|पूर्ण-स्वराज घोशणा]]''', '''ब्रिटिश-भारतिय नौसेना का विद्रोह''' और '''द्वितीय विष्वयुद्ध ''' के बाद [[ब्रिटेन]] में आई आर्थिक-मंदी ने आखरी कील का काम किया। 1947१९४७ में [[ब्रिटेन की संसद]] में '''[[भारतिय स्वतंत्रता अधीनियम]]''' के पारित होने के बाद, [[ब्रिटिश सरकार]] ने [[भारत]] पर अधिपत्यता त्याग दी और इसी के साथ भारत में [[स्वराज]] की स्थापना हुई। इसके बाद, ब्रिटिश कानूनन् प्रक्रिया के तहत [[भारत]] को '''ब्रिटिश-उपनिवेष''' से '''ब्रिटिश-स्वायत्तयोपनिवेष'''(डोमीनियन) का दरजा दे दिया गया। जिसके बाद, कानून तौर पर [[भारत]] एक स्वायत्तय एवं स्वतंत्र राष्ट्र बन गया एवं प्रक्रिया-स्वरूप भारत, [[ब्रिटिश-राष्ट्रमंडल प्रदेश]] का हिस्सा बन गया और आन्य राष्ट्रमंडल प्रदेशों की तरह ब्रिटेन के राजा, [[जार्ज षष्ठम|जौर्ज षष्ठम]] को भारत का राष्ट्राध्यक्ष बना दिया गया, जिसके तहत भारतिय कानूनन् तैहज़े में उन्हें '''भारत के राजा''' का पारंपरिक एवं नम-मात्र के पद से सम्मानित किया गया। भारत में उनका प्रतिनिधित्व '''[[भारत के महाराज्यपाल]]'''(गवर्नर-जनरल) द्वारा होता था, जिन्हें "भारत के राजा" का सारा कार्याधिकार हासिल था।
1950१९५० में संविधान को संविधानसभा की स्वीकृती मिल गई और 26२६ जनवरी 1950१९५० को संविधान के परवर्तन के साथ ही भारत एक स्वतंत्र गणराज्य बन गया और आधिराजकिय व्यवस्था को [[भारत का संविधान|संविधान]] द्वारा गणराजकिय व्यवस्था से बदल दिया गया। भारत के राजा व महाराज्यप्ल के पद को समाप्त कर दिया गया एवं लोकतांत्रिक रूप से चुने हुए [[भारत]] के महामहिं [[भारत के राष्ट्रपति|राष्ट्रपति]] को [[राष्ट्राध्यक्ष]] बना दिया गया।
 
==राजतंत्रिक व्यवस्था एवं कार्यप्रणाली==