"क्षारीय बैटरी": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Alkali battery 5.jpg|right|thumb|300px|विभिन्न आकार-प्रकार की क्षारीय बैटरियाँ]]
'''क्षारीय बैटरी''' (Alkaline batteries) वह [[प्राथमिक सेल|प्राथमिक बैटरी]] है जो [[जस्ता]] और [[मैंगनीज आक्साइड]] (Zn/MnO2) की [[रासायनिक अभिक्रिया]] पर आधारित है। इस प्रकार की [[पुनर्भरणीय बैटरी|पुनर्भरणीय बैटरियाँ]] भी बनायी जाती हैं।
इस प्रकार की बैटरी में विद्युत् अपघट्य अम्ल की जगह क्षार होता है। सर्वाधिक प्रचलित क्षारीय बैटरी एडिसन (Edison) सेल प्रकार की बैटरी है। यह बैटरी निकल-लोह क्षारीय प्रकार का सेल है। एक अन्य बैटरी निकल-कैड-नियम प्रकार की है।▼
▲इस प्रकार की बैटरी में
इस बैटरी का विद्युत् अपघट्य पोटैशियम और लीथियम ऑक्साइड का जलीय विलयन है। इस विद्युत् अपघट्य से सक्रिय पदार्थ का किसी भी अवस्था में विघटन या विलयन नहीं होता। उच्च निकाल ऑक्साइड के इलेक्ट्रोड पर पोटैशियम और लीथियम हाइड्रॉक्साइड का अल्प परिमाण में अवशोषण होता है, लेकिन आवेशन तथा विसर्जन के संपर्क के दौरान विद्युत् अपघट्य के संघटन में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होता। अत: विद्युत् अपघट्य का आपेक्षिक घनत्व एवं चालकता व्यवहारत: स्थिर रहती है। लीथियम हाइड्रॉक्साइड उच्च निकल ऑक्साइड के इलेक्ट्रोड में सक्रिय पदार्थों को अत्यधिक उपयोगी कर देता है। लीथियम हाइड्रॉक्साइड के कारण बैटरी की दक्षता और जीवन में वृद्धि हो जाती है। अत: यह विद्युत् अपघट्य का अत्यावश्यक घटक है।▼
▲इस बैटरी का विद्युत् अपघट्य, पोटैशियम और लीथियम ऑक्साइड का जलीय विलयन है। इस विद्युत् अपघट्य से सक्रिय पदार्थ का किसी भी अवस्था में विघटन या विलयन नहीं होता। उच्च निकाल ऑक्साइड के इलेक्ट्रोड पर पोटैशियम और लीथियम हाइड्रॉक्साइड का अल्प परिमाण में अवशोषण होता है, लेकिन आवेशन तथा विसर्जन के संपर्क के दौरान विद्युत् अपघट्य के संघटन में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होता। अत: विद्युत् अपघट्य का आपेक्षिक घनत्व एवं चालकता व्यवहारत: स्थिर रहती है। लीथियम हाइड्रॉक्साइड उच्च निकल ऑक्साइड के इलेक्ट्रोड में सक्रिय पदार्थों को अत्यधिक उपयोगी कर देता है। लीथियम हाइड्रॉक्साइड के कारण बैटरी की दक्षता और जीवन में वृद्धि हो जाती है। अत: यह विद्युत् अपघट्य का अत्यावश्यक घटक है।
पट्टिकाएँ बनाने के लिए छिद्रित निकल इस्पात की नलियों या खानों (pockets) में सक्रिय पदार्थ भर दिए जाते हैं। धन पट्टिकाएँ, जो एक दूसरे के बगल में रखी रहती है, अनेक ऊर्ध्वाधर नलियों के रूप में रहती हैं। धन पट्टिका में इसके वैद्युत गुण को बढ़ाने के लिए, निकल हाइड्रेट के साथ फ्लेक निकल (flake nickel) एकांतरित स्तरों में भरा रहता है। नलियाँ, जो बिना जोड़ के परिवेष्टित करनेवाले आठ वलयों से प्रबलित रहती है, ग्रिड पर समान अवकाश में आरोपित रहती हैं। ऋण पट्टिका धन पट्टिका के समान रहती है। अंतर केवल यह रहता है कि ऋण पट्टिका में नली के स्थान पर छिद्रित खाने में सूक्ष्म विभाजित लोह ऑक्साइड सक्रिय पदार्थ के रूप में भरा रहता है। ऋण एवं धन पट्टिकाएँ धन और ऋण समूहों में समायोजित रहती हैं। ऐसा ग्रिडों के सिरों के छोदों में से सयोजी दंड डालकर किया जाता है। इस्पात के छल्ले (washer) के उपयोग से उपयुक्त फासला प्राप्त किया जाता है। मध्य अंतरक पोलपीस (pole-piece) का आधार होता है। संयोजी दंड के प्रत्येक सिरे को लॉक वाशर (lock washer) तथा नट से कस देने पर पट्टिकाओं का समूह दृढ़ता से एक दूसरे के साथ बँध जाता है। सब बाशर, नट, संयोजी दंड तथा टरमिनल निकल इस्पात के बने होते हैं। पट्टिका समूहों को पूर्ण एलिमेंट (element) में संयोजित करते हैं। ऋण पट्टिकाओं के समूह में धन पट्टिकाओं के समूह की अपेक्षा एक अधिक एक अधिक पट्टिका होती है। ऊर्ध्वाधर कठोर रबर पिनों (pins) के द्वारा, जो पट्टिकाओं की लंबाई के बराबर होते हैं, प्रत्यावर्ती ऋण एव धन पट्टिकाएँ विद्युत्रोधी बनाई जाती है। रबर की पट्टियाँ ऋण पट्टिकाओं के बाह्य भागों को पात्र के प्रति विद्युत्रोधी बनाती है। कठोर रबर संरचना द्वारा पट्टिकाओं के सिरों तथा किनारों का विद्युत्रोधन होता है। यह संरचना ग्रिडों का पृथक्करण करती है और पट्टिकाओं के पंक्तिबंधन को ठीक रखती है। इस संरचना का अभिकल्प ऐसा होता है कि विद्युत् अपघट्य का परिसंचरण निर्बाध होता है।
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