"विदिशा": अवतरणों में अंतर

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{{main|विदिशा के दर्शनीय स्थल}}
ऐतिहासिक नगरी होने के कारण विदिशा की प्राचीन इमारते और स्थापत्य दर्शनीय हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ प्राकृतिक स्थल और धार्मिक महत्व के स्थान भी देखने के योग्य हैं। विदिशा के निकटवर्ती छोटे छोटे नगर अपने में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर समेटे हुए हैं। अतः इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए इनको देखना भी रुचिकर है। प्राकृतिक स्थलों में
[[लुहांगी]] गिरिश्रेणी विदिशा नगर के मध्य रेलवे स्टेशन के निकट ही स्थित है जहाँ से रायसेन का किला, साँची की पहाड़ियाँ, उदयगिरि की श्रेणियाँ, वैत्रवती नदी व उनके किनारों पर लगी वृक्षों की श्रृंखलाएँ अत्यंत सुदर दिखती है। [[चरणतीर्थ, विदिशा|चरणतीर्थ]] में च्वयन ॠषि ने की तपस्थली तथा संगम दर्शनीय हैं। ऐतिहासिक भवनों में [[विदिशा का किला]] और [[विजय मंदिर, विदिशा]] पर्यटकों के लिए रोचक हैं। इसे अतिरिक्त ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के अनेक छोटे नगर विदिशा के पास बसे हुए है जो पर्यटकों को लुभाते हैं। इनमें [[बेसनगर]], जिसे पाली बौद्ध ग्रंथों में वेस्सागर कहा गया है, [[भद्दिलपुर]] जो जैनियों के दसवें तीथर्थंकर भगवान शीतलनाथ की जन्मभूमि है, [[उदयगिरि की गुफाएँ]] जो ४वीं- ५वीं सदी पुरानी हैं पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बनती हैं। कई इमारतें व उनसे जुड़ी ऐतिहासिक घटनाओं के समेटे [[सिरोंज]], नंदवंशी अहीर ठाकुरों की भूमि [[लटेरी]], परमारवंशीय राजा उदयदित्य के स्वर्णकाल का प्रतीक [[उदयपुरा, विदिशा|उदयपुरा]], पहाड़ी की उपत्यका में बसा [[ग्यारसपुर]], ऐतिहासिक नगर [[शम्शाबाद]], बौद्धअहीर ठाकुरों के वेभव को दर्शाती [[पट्टन की गडी]], स्तूपों के लिए जाना जाने वाला [[साँची]], रंगाई-छपाई कार्य के लिए प्रसिद्ध [[बासौदा|गंज बासौदा]], रमणीय सरोवर के निकट बसा [[बढ़ोह]] और सातखनी हवेली के लिए प्रसिद्ध [[मरखेड़ा]] विदिशा जिले के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं।
 
== संदर्भ ==