"भाषा भूगोल": अवतरणों में अंतर

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== परिचय ==
किसी एक उल्लिखित क्षेत्र में पाई जाने वाली भाषा संबंधी विशेषताओं का व्यवस्थित अध्ययनअhhध्ययन '''भाषा भूगोल''' या '''बोली भूगोल''' (dialect geography) के अंतर्गत आता है। ये विशेषताएँ उच्चारणगत, शब्दगत या व्याकरणगत हो सकती हैं। सामग्री एकत्र करने के लिये भाषाविज्ञानी आवश्यकतानुसार सूचक (Informant) चुनता है और टेपरिकार्डर पर या विशिष्ट स्वनात्मक लिपि (Phonetic Script) में नोटबुक पर सामग्री एकत्र करता है। इस सामग्री के संकलन और संपादन के बाद वह उन्हें अलग अलग मानचित्रों पर अंकित करता है। इस प्रकार तुलनात्मक आधार पर वह समभाषांश रेखाओं (Isoglosses) द्वारा क्षेत्रीय अंतर स्पष्ट कर भाषागत या बोलीगत भौगोलिक सीमाएँ स्पष्ट कर देता है। इस प्रकार बोलियों का निर्धारण हो जाने पर प्रत्येक का वर्णनात्मक एवं तुलनात्मक सर्वेक्षण किया जाता है। उनके व्याकरण तथा कोश बनाए जाते हैं। बोलियों के इसी सर्वांगीण वर्णनात्मक तुलनात्मक या ऐतिहासिक अध्ययन को भाषिका (बोली) विज्ञान (Dialectology) कहते हैं।
 
भाषा भूगोल का अध्ययन 19वीं शताब्दी में शुरू हुआ। इस क्षेत्र में प्रथम उल्लेखनीय नाम [[श्लेमर]] का है, जिन्होंने [[बवेरियन बोली]] का अध्ययन प्रस्तुत किया। 19वीं शताब्दी के अंत में पश्चिमी यूरोप में भाषा भूगोल का कार्य व्यापक रूप से हुआ। इस क्षेत्र में उल्लेखनीय हैं जर्मनी का 'Sprachatlas des deutschen Reichs' और फ्रांस का 'Atlas lingustique de la France'। जर्मनी में जार्ज बैंकर आका हरौर रीड का कार्य तथा फ्रांस में गिलेरी और एडमंट का कार्य महत्वपूर्ण है। लगभग इसी समय "इंग्लिश डायलेक्ट सोसायटी" ने भी कार्य शुरू किया जिसके प्रणेता [[स्वीट]] थे। सन् 1889 से अमेरिका में बोली कोश या भाषा एटलस के लिये सामग्री एकत्र करने के लिये अमेरिकन डायलेक्ट सोसायटी की स्थापना हुई। व्यवस्थित कार्य मिशिगन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ॰ हंस कुरेथ के नेतृत्व में सन 1928 में शुरू हुआ। अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय और अमेरिकन कौंसिल ऑव लर्नेड सोसायटीज ने उनके "लिंग्विस्टिक एटलस ऑव न्यू इंग्लैंड" को छह जिलें में प्रकाशित किया है (1936-43)। उन्हीं के निदेशन में एटलस ऑव दि यूनाइटेड स्टेट्स ऐंड कैनाडा जैसा बृहत् कार्य संपन्न हुआ।