"बृजमोहन लाल मुंजाल": अवतरणों में अंतर

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| birth_date = {{birth date |df=yes|1923|07|01}}
| birth_place = [[Kamaliaकमालिया]], अविभाजित भारत
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| death_place =[[दिल्ली]], भारत
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| networth = $3.7 बिलियन (सितंबर 2014)
| spouse = संतोष
| children = चारतीन पुत्र, एक पुत्री
| website =
| footnotes =
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==प्रारंभिक जीवन==
इनका जन्म 1923 में [[अविभाजित भारत]] के [[कमालिया]] में हुआ जो कि वर्तमान [[पाकिस्तान]] के पंजाब के [[टोबा टेक सिंह जिला|जिला टोबा टेक सिंह]] में स्थित है।<ref>{{cite book|last1=Guide Publications|title=Who's who in India|date=1986|publisher=Intl Pubn Service|location=India|isbn=0800240871|page=288}}</ref>
मुंजाल 20 साल की उम्र में 1944 में अपने तीन भाइयों—दयानंद, सत्यानंद और ओमप्रकाश के साथ पाकिस्तान के कमालिया से अमृतसर आए और उन्होंने साइकिल के कलपुर्जों का कारोबार शुरू किया।
 
==व्यापारी एवं उद्योगपति==
बाद में वह लुधियाना चले गए, जहां वह अपने तीन भाइयों के साथ साइकिलों के पार्ट्स बेचने लगे। 1954 में उन्होंने [[हीरो साइकिल्स लिमिटेड]] की स्थापना की तथा पार्ट्स बेचने की बजाए साइकिलों के हैंडल, फोर्क वगैरह बनाना शुरू किया।
 
1956 में पंजाब सरकार ने साइकिलें बनाने का लाइसेंस जारी किया। यह लाइसेंस उनकी कंपनी को मिला और यहां से उनकी दुनिया बदल गई। सरकार
से 6 लाख रुपये की वित्तीय मदद और अपनी पूंजी के साथ हीरो साइकिल्स को 'बड़े स्तर की इकाई' का दर्जा दिलवाते हुए साइकिल निर्माण में कदम रखा। <ref>{{cite news|title=Brijmohan Lall Munjal: A Hero for Life|url=http://forbesindia.com/article/leaderhip-awards-2013/brijmohan-lall-munjal-a-hero-for-lifes/36351/0|accessdate=10 January 2015|publisher=Forbes}}</ref> उस समय कंपनी की सालाना उत्पादन क्षमता 7,500 साइकिलों की थी। 1975 तक यह भारत की सबसे बड़ी साइकिल कंपनी बन चुकी थी और 1986 में हीरो साइकिल का नाम [[गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स|गिनीज़ बुक]] में दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल कंपनी के रूप में दर्ज किया गया।<ref>{{cite web|title=Amazing story of how Munjal built Hero Honda|url=http://www.rediff.com/money/2007/jun/11bspec.htm|website=Rediff.com|accessdate=10 January 2015}}</ref>
 
==सम्मान==
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{{२००५ पद्म भूषण}}
 
हीरो समूह के चेयरमैन बृजमोहन लाल मुंजाल ने अपनी
मेहनत, दूरदर्शिता से वह कर दिखाया, जो बहुत से
लोगों के लिए सिर्फ एक सपना ही रह जाता है।
उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत व लगन से आज अपनी टू-
व्हीलर कंपनी को इस क्षेत्र में विश्व की नंबर एक कंपनी
बना दिया है। आज बृजमोहन लाल मुंजाल हीरो
मोटोकॉर्प के चेयरमैन हैं। उनकी कुल संपत्ति 1.5 अरब
 
डॉलर है और वह भारत के 38वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं।
मोटा काम करने लगे। बाद में वह लुधियाना चले गए,
बृजमोहन लाल मुंजाल ने सपना देखा था कि परिवहन
का एक ऐसा सस्ता माध्यम बनाया जाए, जिसे
गरीबों के लिए अपनाना मुश्किल न हो। उनके भाई ने
उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा दी। उन्होंने साइकिल
उद्योग स्थापित किया और उसे गरीबों का वाहन
बना दिया। इसके बाद बृजमोहन मुंजाल ने कभी पीछे
मुड़कर नहीं देखा।
मुंजाल 20 साल की उम्र में 1944 में अपने तीन भाइयों—
दयानंद, सत्यानंद और ओमप्रकाश के साथ पाकिस्तान
के कमालिया से अमृतसर आए और उन्होंने साइकिल के
कलपुर्जों का कारोबार शुरू किया। उनका जन्म
कमालिया में ही हुआ, जो अब पाकिस्तान में है।
बंटवारे से पहले ही वे अमृतसर चले आए और यहां छोटा-
मोटा काम करने लगे। बाद में वह लुधियाना चले गए,
जहां वह अपने तीन भाइयों के साथ साइकिलों के
पार्ट्स बेचने लगे। 1954 में उन्होंने पार्ट्स बेचने की