"मृत्युदंड": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: अनुभाग शीर्षक एकरूपता।
CommonsDelinker द्वारा Ilja_Jefimowitsch_Repin_005.jpg की जगह File:Ilja_Jefimowitsch_Repin_-_Saint_Nicholas_of_Myra_saves_three_innocents_from_death.jpg लगाया जा रहा है...
पंक्ति 3:
'''मृत्युदण्ड''' ([[अंग्रेज़ी]]:[[:en:Capital punishment|''कैपिटल पनिश्मैन्ट'']]), किसी व्यक्ति को कानूनी तौर पर न्यायिक प्रक्रिया के फलस्वरूप किसी अपराध के परिणाम में प्राणांत का दण्ड देने को कहते हैं। अंग्रेज़ी में इसके लिये प्रयुक्त कैपिटल शब्द [[लैटिन]] के ''कैपिटलिस'' शब्द से आया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "सिर के संबंध में या से संबंधित" (लैटिन ''कैपुट'')। इसके मूल में आरंभिक रूप में दिये जाने वाले मृत्युदण्ड का स्वरूप सिर को धड़ से अलग कर देने की प्रक्रिया में है। वर्तमान समय में [[एमनेस्टी इंटरनेशनल]] के आंकड़ों के अनुसार विश्व के 58 देशों में अभी मृत्युदंड दिया जाता है<ref>[http://www.amnesty.org/en/death-penalty/abolitionist-and-retentionist-countries ऍम्नेस्टी इंटरनेशनल]</ref>, जबकि अन्य देशों में या तो इस पर रोक लगा दी गई है, या गत दस वर्षो से किसी को फांसी नहीं दी गई है। [[यूरोपियाई संघ]] के सदस्य देशों में,[[:en:Charter of Fundamental Rights of the European Union|चार्टर ऑफ फ़्ण्डामेण्टल राइट्स ऑफ द यूरोपियन यूनियन]] की धारा-2 मृत्युदण्ड को निषेध करती है।<ref>[http://www.europarl.europa.eu/charter/pdf/text_en.pdf ार्टर ऑफ फ़्ण्डामेण्टल राइट्स ऑफ द यूरोपियन यूनियन]</ref>
== विवाद ==
[[चित्र:Ilja Jefimowitsch Repin 005- Saint Nicholas of Myra saves three innocents from death.jpg|thumb|200px|[[:en:Saint Nicholas of Myra|मायरा के संत निकोलस]] ने तीन गलत निर्णय द्वारा मृत्युदंड भागियों को अंतिम घड़ी में बचाने हेतु जल्लाद के हाथ से तलवार खींचते हुए। (तैल चित्र, इलिया रेपिन 1888, रूसी राजकीय संग्रहालय]]
मृत्युदंड पर अभी भी विभिन्न देशों में विवाद जोरों पर है। इसके विपक्षियों का कहना है कि यह बहुत हद तक संभव है कि कानून को तोड़-मरोड़ कर और झूठी गवाही के आधार पर निर्दोष व्यक्ति को फांसी दे दी जाए। इसके लिए आंकड़ों को आधार बनाकर कहा जाता है कि मृत्युदंड के शिकार बनने जा रहे लोगों में से अधिकांश गरीब वर्ग के लोग होते हैं या ऐसे लोग जो अपनी पैरवी के लिए वकील नहीं रख सकते हैं।<ref name="हिन्दुस्तान">[http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/gyan/67-75-117137.html सज़ा-ए-मौत]। हिन्दुस्तान लाइव। 11 मई 2010</ref> इसके विपरीत, मृत्युदंड के पक्षधर अनेक आधारों पर विभिन्न सजाओं को श्रेणीबद्ध करते हुए यह कहते हैं कि किसी अपराधी को मृत्युदंड दिया जाना उसे सदा के लिए कारागार में रखने से कहीं सस्ता सौदा होता है। इसके अलावा इसे एक सबक के तौर पर भी मानते हैं, ताकि अन्य लोग सीख लें, लेकिन इसके बावजूद मृत्युदंड का भय अपराधों पर रोक नहीं लगाता।
[[चित्र:04CFREU-Article2-Crop.jpg|thumb|left|250px|[[:en:Charter of Fundamental Rights of the European Union|चार्टर ऑफ फ़्ण्डामेण्टल राइट्स ऑफ द यूरोपियन यूनियन]] की धारा-2 [[यूरोपियन संघ]] के सदस्य राष्ट्रों में मृत्युदण्ड को निषेध करती है।]]