"आल्हा": अवतरणों में अंतर
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में कालिंजर को भी घेर लिया अंततः समझौते
की शर्तों के तहत परमाल को कलिन्जराधिपति
बने रहने दिया गया ! महोबा जीत लिया गया
सिया परमार भी वीरगति को प्राप्त हुआ
युद्ध की समाप्ति पर सेनापति खूब सिंह
खंगार अपनी बची खुची सैन्य शक्ति समेत
कुंडार लौट आया और कुंडार का प्रशासक बन
गया ! इसी युद्ध से आल्हा को भी संसार से
विरक्ति हो गई और वह सब कुछ छोड़ कर गुरु
गोरख नाथ के साथ चला गया !
इनकी वीरता की कहानी आज भी उत्तर-भारत के गाँव-गाँव में गायी जाती है।
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