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[[चित्र:Pawapuri - 001 Temple marking Mahavira's Passing (9243092471).jpg|thumb|पावापुरी में स्थित "जल मंदिर"]]
[[राजगीर]] और [[बोधगया]] के समीप '''पावापुरी''' [[भारत]] के [[बिहार]] [[प्रान्त]] के [[नालंदा]] जिले मे स्थित एक शहर
== प्राचीन नाम ==
13वीं शती ई॰ में जिनप्रभसूरी ने अपने ग्रंथ विविध तीर्थ कल्प रूप में इसका प्राचीन नाम अपापा बताया है। पावापुरी का अभिज्ञान बिहार शरीफ रेलवे स्टेशन (बिहार) से 9 मील पर स्थित पावा नामक स्थान से किया गया है। यह स्थान राजगृह से दस मील दूर है। महावीर के निर्वाण का सूचक एक स्तूप अभी तक यहाँ खंडहर के रूप में स्थित है। स्तूप से प्राप्त ईटें राजगृह के खंडहरों की ईंटों से मिलती-जुलती हैं। जिससे दोनों स्थानों की समकालीनता सिद्ध होती है।
कनिंघम[1] के मत में जिसका आधार शायद बुद्धचरित[2] में कुशीनगर के ठीक पूर्व की ओर पावापुरी की स्थिति का उल्लेख है, कसिया जो प्राचीन कुशीनगर के नाम से विख्यात है, से 12 मील दूर पदरौना नामक स्थान ही पावा है। जहाँ गौतम बुद्ध के समय मल्ल-क्षत्रियों की राजधानी थी।
== जैन मान्यताएं ==
महावीर की मृत्यु 72 वर्ष की आयु में अपापा के राजा हस्तिपाल के लेखकों के कार्यालय में हुई थी। उस दिन कार्तिक की अमावस्या थी। पालीग्रंथ संगीतिसुत्तंत में पावा के मल्लों के उब्भटक नामक सभागृह का उल्लेख है।
== बौद्ध मान्यताएं ==
जीवन के अंतिम समय में तथागत ने पावापुरी में ठहरकर चुंड का सूकर-माद्दव नाम का भोजन स्वीकार किया था। जिसके कारण अतिसार हो जाने से उनकी मृत्यु कुशीनगर पहुँचने पर हो गई थी।
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== पर्यटन ==
[[चित्र:Pawapuri - 013 Jaina Temple (9245758028).jpg|thumb|पावापुरी में स्थित [[जैन मंदिर]]]]
यहाँ कमल तालाब के बीच जल मंदिर विश्व प्रसिद्ध है।
== यह भी देखें ==
* [[बिहार]]
▲* [[जैन धर्म]]
== बाहरी कड़ियाँ ==
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