"दीपावली (जैन)": अवतरणों में अंतर

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[[जैन]] समाज द्वारा [[दीपावली]], महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है|है।<ref>{{पुस्तक सन्दर्भ|title=Jharkhand Sachivalaya SewaS Jharkhand Lok Sewa Ayog sahayak Prarambhik Pariksha|publisher=उपकार प्रकाशन|isbn=9789350132913|p=४८|url=https://books.google.co.in/books?id=w6TDBgAAQBAJ|accessdate=7 नवंबर 2015}}</ref> [[महावीर स्वामी]] (वर्तमान अवसर्पिणी काल के अंतिम [[तीर्थंकर]]) को इसी दिन (कार्तिक अमावस्या) को [[मोक्ष (जैन धर्म)|मोक्ष]] की प्राप्ति हुई थी। इसी दिन संध्याकाल में उनके प्रथम शिष्य [[गौतम गणधर]] को [[केवल ज्ञान]] रूपी लक्ष्मी की प्राप्ति हुई थी। अतः अन्य सम्प्रदायों से जैन दीपावली की पूजन विधि पूर्णतः भिन्न है।
 
== दीपावली ==
दीपावली शब्द से संबंधित शब्द, "दीपलिक" का सबसे पुराना संदर्भ आचार्य [[जिनसेन]] द्वारा लिखित हरिवंश-पुराण में मिलता है:
<ref>{{cite book
|title = Encyclopaedia of Indian literature
|volume = 2
|year = 1988
|first = Sahitya
|last = Akademi
|isbn = 81-260-1194-7}}</ref>
 
<blockquote>
ततस्तुः लोकः प्रतिवर्षमादरत् प्रसिद्धदीपलिकयात्र भारते |<br>
समुद्यतः पूजयितुं जिनेश्वरं जिनेन्द्र-निर्वाण विभूति-भक्तिभाक् |२० |<br>
</blockquote>
 
<blockquote>
हिंदी अनुवाद: देवताओं ने इस अवसर पर दीपक द्वारा पावानगरी ([[पावापुरी]]) को प्रबुद्ध किया। उस समय के बाद से, भारत के लोग जिनेन्द्र (यानी भगवान महावीर) के निर्वाणोत्सव पर उनकी की पूजा करने के लिए प्रसिद्ध त्यौहार "दीपलिक" मनाते हैं।
</blockquote>
 
==निर्वाण लड्डू==