"जगजीवन राम": अवतरणों में अंतर

No edit summary
पंक्ति 1:
{{Infobox officeholder
|name = जगजीवन राम
|image =
|birth_date = {{birth date|1908|4|5}}
|birth_place = [[चांदवा]], [[भोजपुर जिला]], बिहार, ब्रिटिश भारत
|death_date = {{death date and age|1986|7|6|df=y}}
|office = [[भारत के उपप्रधानमंत्री]]
|term = 24 मार्च 1977-28 जुलाई 1979
|office1 = [[भारत के रक्षामंत्री]]
|term1 = 1977 - 1978
|term2 = 1970 - 1974
|party = [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]
|religion = [[हिन्दू धर्म]]
}}
 
'''जगजीवन राम''' [[भारत]] के प्रथम दलित उप-प्रधानमंत्री एवं राजनेता थे।
 
Line 8 ⟶ 23:
भारत की ससद को बाबू जगजीवन राम अपना दूसरा घर मानते थे। मत्री के रूप में जगजीवन राम को जो भी काम मिला, उसे बहुत ही अच्छी तरह से निभाया। 1952 के चुनाव के बाद उन्हें नेहरूजी ने संचार मत्री बनाया। उन दिनों सचार मत्रालय में ही विमानन विभाग भी शामिल था। उन्होंने निजी विमानन कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया और गांव-गांव तक डाकखानों का नेटवर्क विकसित किया। बाद में जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें रेल मत्री बनाया। उन्हीं के कार्यकाल में रेलवे के आधुनिकीकरण की बुनियाद पड़ी और रेलवे कर्मचारियों के लिए बहुत सी कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गईं। पद की लालसा उन्हें बिलकुल नहीं थी, इसलिए जब [[कामराज योजना]] आई तो उन्होंने सबसे पहले सरकार से अलग होकर सगठन का काम शुरू किया।
 
जब [[लालबहादुर शास्त्री]] की मृत्यु के बाद इंदिरा गांधी ने प्रधानमत्री पद सभाला तो बाबूजी को एक अति कुशल प्रशासक के रूप में अपने साथ लिया। यह भारत के लिए निश्चित रूप से कठिन दौर था। 1962 में [[चीन]] और 1965 में [[पाकिस्तान]] से लड़ाई हो चुकी थी। गरीब आदमी और किसान भुखमरी के कगार पर खड़ा था। [[अमेरिका]] से पीएल-480 के तहत सहायता में मिलने वाला [[गेहूं]] और [[ज्वार]] ही भूख मिटाने का मुख्य साधन बन चुका था। ऐसी विकट परिस्थिति में डॉ॰ नॉरमन बोरलाग भारत आए और [[हरित क्राति]] का सूत्रपात किया। नई सोच और आधुनिक तकनीक के पक्षधर बाबू जगजीवन राम उस समय कृषि मत्री थे। उन्होंने ही डॉ॰ नॉरमन बोरलाग के हरित क्रांति के विचार को कार्यान्वित करने में पूरा राजनीतिक समर्थन दिया। भारत में दो-ढाई साल में ही हालात बदल गए और देश की जरूरत से अधिक खाद्यान्न पैदा होने लगा। भारत में [[हरित क्राति]] के लिए तकनीकी मदद तो निश्चित रूप से डॉ॰ [[नॉरमन बोरलाग]] से मिली, लेकिन भारत के कृषि मत्री बाबू जगजीवन राम ने जबरदस्त राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करते हुए हरित क्राति के लिए जरूरी प्रशासनिक इंतजाम किया। डॉ॰ बोरलाग का अविष्कार था बौना गेहूं और धान, जिसने भारत और पाकिस्तान में भुखमरी की समस्या को हमेशा के लिए खत्म कर दिया। बाद में चीन ने भी इस प्रौद्योगिकी का फायदा उठाया। 1962 और 1965 की लड़ाई के बाद उपजी भूख की समस्या को उन्होंने बहुत ही सूझ-बूझ से परास्त किया। 1971 की भारत-पाकिस्तान जंग में बाबूजी ने जिस तरह से अपनी सेनाओं के लिए राजनीतिक समर्थन दिया वह सैन्य इतिहास में मिसाल बन गया है। बाद में भी जब [[इंदिरा गांधी]] का सबसे बुरा दौर था, काग्रेस के पुराने नेता उनका साथ छोड़ चुके थे, तो बाबू जगजीवन राम ने उनके साथ खड़े होकर उन्हे मजबूती दी थी, लेकिन उन्होंने कभी भी लोकतांत्रिक मूल्यों से समझौता नहीं किया। वह सच्चे अर्थो में भारत निर्माता थे।
 
{{आधार}}