"शोले (1975 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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| editing =एम् एस शिंदे
| writer = [[जावेद अख़्तर]], [[सलीम ख़ान]]
| starring = [[धर्मेन्द्र]],<br />[[संजीव कुमार]],<br />[[अमिताभ बच्चन]],<br />[[अमज़द ख़ान]],<br />[[हेमामालिनी]],<br />[[जया बच्चन]],<br />[[ए के हंगल]],<br />[[असरानी]],<br />[[जगदीप]],<br />[[सचिन (अभिनेता)|सचिन]],<br />[[कैस्टोकेष्टो मुखर्जी]]
| released = {{start date|[[:श्रेणी:1976 में बनी हिन्दी फ़िल्म|1976]]|8|15|df=y}}
| runtime = 204 मिनट
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| gross = {{INR}} 15 करोड़
}}
'''शोले''' 1975 में बनी [[हिन्दी भाषा]] की फिल्म है। इसका नाम हिन्दुस्तान की सार्वकालिक बेहतरीन फ़िल्मों में शुमार है तथा इसने कई आगामी फिल्मों के लिए एक प्रेरणास्रोत का काम किया। फिल्म के
बारे में ये रोचक तथ्य है कि बॉलीवुड का इतिहास कुछ इस तरीके से बयां होता है-शोले के पहले और
शोले के बाद.
 
== विषय ==
रामगढ के ठाकुर बलदेव सिंह (संजीव कुमार) एक इंसपेक्टर है जिसने, एक डाकू सरगना गब्बर सिंह (अमज़द ख़ान) को पकड़कर जेल में डलवा दिया। पर गब्बर जेल से भाग निकलता है और ठाकुर के परिवार को बर्बाद कर देता है। इसका बदला लेने के लिए ठाकुर दो चोरों की मदद लेता है - जय (अमिताभ बच्चन) तथा वीरू (धर्मेन्द्र)।
 
गब्बर के तीन साथी रामगढ के ग्रामीणों से अनाज लेने आते हैं, पर जय और वीरु की वजह से उन्हे खाली हाथ जाना पडता है। गब्बर उनके मात्र दो लोगो से हारने पर बहुत क्रोधित होता है और उन तीनो को मार डालता है। गब्बर होली के दिन गाँव पर हमला करता है और काफ़ी लडाई के बाद जय और वीरु को बंधक बना लेता है। ठाकुर उन्की मदद करने कि स्थीतिस्तिथि मे होने पर भी उनकी मदद नही करता। किसी तरह जय और वीरु बच जाते है। तब ठाकुर उन्हे बताता है कि किस तरह कुछ समय पहले, उसने गब्बर को गिरफ्तार किया था पर वो जेल से भाग गया और ठाकुर के पूरे परिवार को मार डाला। बाद मे उसने ठाकुर को पकड कर उसके दोनो हाथ काट दिये।
 
रामगढ मे रहते हुये जय को ठाकुर की विधवा बहू राधा (जया बच्चन) और वीरु को बसन्ती (हेमा मालिनी) से प्यार हो जाता है।
 
बसन्ती और वीरु को गब्बर के आदमी पकड कर ले जाते है और जय उनको बचाने जाता है। लडाई मे जय को गोली लग जाती है। वीरु गब्बर के पीछे जाता है और उसे पकड लेता है।
 
== मुख्य कलाकार ==
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* [[मैक मोहन]] - साँभा
* [[विजू खोटे]] - कालिया
* [[कैस्टोकेष्टो मुखर्जी]] - हरिराम
* [[हबीब]] - हीरा
* [[शरद कुमार]] - निन्नी
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== संगीत ==
* गीत "महबूबा मेहबूबा" [[राहुल देव बर्मन]] ने गाया, जिसे [[हेलेनहेलन]] और जलाल आगा पर फ़िल्माया गया था| यह गीत [[बिनाका गीत माला]] १९७५ वार्षिक सूची पर २४वीं पायदान पर तथा १९७६ वार्षिक सूची पर ५वीं पायदान पर रही|<ref>[http://en.wikipedia.org/wiki/Binaca_Geetmala_annual_list_1975 बिनाका गीत माला की 1975 वार्षिक सूची]</ref>
* गीत "कोई हसीना जब रूठ जाती है" [[बिनाका गीत माला]] की १९७५ वार्षिक सूची पर ३०वीं पायदान पर और १९७६ वार्षिक सूची पर २०वीं पायदान पर रही|<ref>[http://en.wikipedia.org/wiki/Binaca_Geetmala_annual_list_1976 बिनाका गीत माला की 1976 वार्षिक सूची]</ref>
* गीत "ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे" [[बिनाका गीत माला]] की १९७६ वार्षिक सूची पर ९वीं पायदान पर रही|
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* इस फिल्म का एक और अन्त रखा गया था जिसमें गब्बर सिंह मर जाता है। इस सीन को फिल्म में नहीं दिखाया गया था। काफी सालों बाद इस सीन को कुछ एक टीवी चनलों पर दिखाया गया था।
 
*फिल्म के लिए एक कव्वाली भी रिकॉर्ड की गयी थी जो फिल्म की अवधि बढ़ने के कारण शामिल
नहीं की गयी. फिल्म के एल पी रिकॉर्ड पर ये उपलब्ध है.
 
== परिणाम ==
=== बौक्स ऑफिस ===
शोले फ़िल्म १५ अगस्त १९७५ को रिलीज़ हुयी। शुरु के दो सप्ताह ये कुछ खास नही चली, पर तीसरे सप्ताह से ये रातो रात सन्सनीसनसनी बन गयी। अंततः यह फ़िल्म १९७५ की सर्वाधिक कमाई करने वाली फ़िल्म बनी। इस फ़िल्म ने भारत मे लगातार मे लगातार ५० सप्ताह तक प्रदर्शन का कीर्तीमान भी बनाया। साथ ही यह फ़िल्म भारतीय फ़िल्मो के इतिहास मे ऐसी पहली फ़िल्म बनी, जिसने सौ से भी ज्यादा सिनेमा घरो मे रजत जयंती (२५ सप्ताह) मनाई। मुम्बई के मिनर्वा सिनेमाघर मे इसे लगातार ५ वर्षों तक प्रदर्शित किय गया।
 
अपने प्रथम प्रदर्शन के दौरान इसने १५ करोड रुपयों की कमाई की, जो कि इसकी २ करोड की लागत से कई गुना था। अनुमान के मुताबिक, मंहगाई दर के आधार पर समायोजित करने पर यह फ़िल्म, भारतीय सिनेमा जगत के इतिहास मे सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फ़िल्म है।
 
== नामांकरण और पुरस्कार ==