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(कोई अंतर नहीं)

17:57, 16 नवम्बर 2015 का अवतरण

मेरी नाम नीना है|मै यहा बेंगलूर मै पंद्रह् सालों से रहती हुं|मेरी घर मे चार लोग रहते है|पापा,माँ,भैय्या और मै|मेरे पापा व्यापर करते है,माँ स्क्ल मे अध्यापिका है और भैय्या साफ्ट्वेर संगटन मे काम करते है|माँ शाला से आने के बाद घर मे संरक्षता करते है|र्भैय्या को मै बहुत पसंद करती हूं|मेरी सारी संबंधी केरल मे रहते है|अपनी पाटशाला कि शिक्शा ओ एल एफ शाला मै किया था और इन्टर मीडिएट का शिक्शण क्राइस्ट् जुनियर कालेज मे किया था|अब मै अपनी सीमा अब क्राइस्ट महाविध्यालय मै पड रही हूं|मै अपनी परिवार के साथ मडिवाला मै रहती हूं|हमारा परिवार एक छोटा सा परिवार है|हमेशा हम लोग हमेशा खुशी से मिल्जुलकर रेहते है|मुझे अपने दोस्तों के साथ बाहार जाना और उन सब के साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता है|मै अपनी दोस्तों को बहुत प्यार करती हूं|उन लोग जब मेरा घर आते है तो हम बहुत आनंद आनन्द उठाते है|

                   मुझे चित्र खींचने और रंगसाजी मे बहुत ताल्पर्य है|मुझे त्रोबाल खेलने बहुत अच्छा लगता है| नृत्य और जाने मे भी शोक है|मेरी कक्षा मे मेरी सारी लोज मेरी अच्छी दोस्तें बन चुकी है|हम सब एक दूसरे का भावनाएँ भी बाँट लेते है|मै अपनी कक्शा मे होने वाले सारे बातों को मै आकर अपने माँ बाप से आकर बताति हूँ|मै बहुत छुपि हुइ इन्सान हूँ|मरे साथ कौन अच्छे तरह से बात करते है,मै भी उनके साथ अच्छी तरह बात करति हूं|बहुत सारे लोग येह सोचते है कि मै किसी से भी बात नही करुंगी और सिर्फ मेरे जैसे लोगो से ही बात करती हूं|मुझे इस बत मै बहुत बुरा लगता है|मेरी बलाइ है कि मै बहुत आसानी से दोस्तों बना सकती हूं|मेरी इसी बलाइ सब लोग पसंद करते है|मुझे बचपन से ही बात करना बहुत पसंद है|हर एक समय पर मै बात करती रहता हूं|मुझे जरीब लोगों को देखने से बहुत करुणा आता है येह सोच कर कि उन लोगों को प्यार करने के लिये कोइ भी नही है|मै महिना मे एक बार अनाथाश्रम संदर्श करती हूं|उन लोगो के जीवन से भी हमको बहुत ज्यादा सीखना है|मै वहा हर एक समय जाती हु,तो मै तो वहा से कुच ना कुच सीखकर ही घर आती हूं|उन छोटे बच्चों के जीवन से भी मुझे बहुत ज्यादा सीखना मिला|इसी से मै बहुत खुश हूं|
                   जिन लोगों को सहायता की अवश्यकता रहते है ,उन लोगों को सहायता करने से मेरे मन को भी खुशि मिलते है|