"संगीत नाटक अकादमी": अवतरणों में अंतर

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|formation = 31 मई 1952
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== स्थापना ==
संगीतभारत नाटकसरकार अकादमीके भारतशिक्षा सरकारमंत्रालय ने एक संसदीय प्रस्ताव द्वारा एक स्वायत्त संस्था के रूप में संगीत नाटक अकादमी की स्थापना करने का निर्णय किया। तदनुसार 1953 में अकादमी की स्थापना हुई। 1961 में अकादमी भंग कर दी गई और इसका नए रूप में संगठन किया गया। 1860 के सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन के अधीन यह संस्था पंजितपंजिकृत हो गई। इसकी नई परिषद् और कार्यकारिणी समिति का गठन किया गया। अकादमी अब इसी रूप में कार्य कर रही है।
 
== उद्देश्य ==
संगीत नाटक अकादमी की स्थापना [[संगीत]], [[नाटक]] और [[नृत्य कलाओंकला]]ओं को प्रोत्साहन देनादेने तथा उनके विकास और उन्नति के लिए विविध प्रकार के कार्यक्रमों का संचालन करनाकरने है।के उद्देश्य से की गयी थी। संगीत नाटक अकादमी अपने मूल उद्देश्य की पूर्ति के लिए देश भर में संगीत, नृत्य और नाटक की संस्थाओं को उनकी विभिन्न कार्ययोजनाओं के लिए अनुदान देती है, सर्वेक्षण और अनुसंधान कार्य को प्रोत्साहन देती है;है। संगीत, नृत्य और नाटक के प्रशिक्षण के लिए संस्थाओं को वार्षिक सहायता देती है; संगीत, नृत्य और नाटक के प्रशिक्षण के लिए संस्थाओं को वार्षिक सहायता देती है;है। विचारगोष्ठियों और समारोहों का संगठन करती है तथा इन विषयों से संबंधित पुस्तकों के प्रकाशन के लिए आर्थिक सहायता देती है।
 
{{अनुवाद}}== संगठन व्यवस्था==
संगीत नाटक अकादमी की एक महापरिषद् होती है जिसमें 48 सदस्य होते हैं। इनमें से 5 सदस्य भारत सरकार द्वारा मनोनीत होते हैं - एक शिक्षा मंत्रालय का प्रतिनिधि, एक [[सूचना औरएवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार|सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय]] का प्रतिनिधि, भारत सरकार द्वारा नियुक्त वित्त सलाहकार (पदेन), 1-1 मनोनीत सदस्य प्रत्येक राज्य सरकार का,के 21-21 प्रतिनिधिमनोनीत सदस्य और [[ललित कला अकादमी]] और [[साहित्य अकादमी]] के 2-2 प्रतिनिधि के होते हैं। इस प्रकार मनोनीत ये 28 सदस्य एक बैठक में 20 और सदस्यों का चुनाव करते हैं। ये व्यक्ति संगीत, नृत्य और नाटक के क्षेत्र में विख्यात कलाकार और विद्वान् होते हैं। इनका चयन इस प्रकार से किया जाता है कि संगीत और नृत्य की विभिन्न पद्धतियों और शैलियों तथा विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व हो सके। इस प्रकार गठित महापरिषद् कार्यकारिणी का चुनाव करती है जिसमें 15 सदस्य होते हैं। सभापति का मनोनयन शिक्षामंत्रालयशिक्षा की सिफारिश पर राष्ट्रपति का मनोनयन शिक्षामंत्रालयमंत्रालय की सिफारिश पर [[राष्ट्रपति]] द्वारा किया जाता है। उपसभापति का चुनाव महापरिषद् करती है। सचिव का पद वैतनिक होता है और सचिव की नियुक्ति कार्यकारिणी करती है।
 
कार्यकारिणी कार्य के संचालन के लिए अन्य समितियों का गठन करती है, जैसे वित्त समिति, अनुदान समिति, प्रकाशन समिति आदि। अकादमी के संविधान के अधीन सभी अधिकार सभापति को प्राप्त होते हैं। महापरिषद्, कार्यकारिणी तथा सभापति का कार्यकाल पाँच वर्ष होता है।
 
अकादमी के सबसे पहले सभापति श्री पी.वी. राजमन्नार थे। दूसरे सभापति [[मैसूर]] के महाराजा श्री जयचामराज वडयरवडयार थे।
 
== कार्यक्रम ==