"परमानंद दास": अवतरणों में अंतर
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वल्ल्भ संप्रदाय ([[पुष्टिमार्ग]]) के आठ कवियों (अष्टछाप कवि) में एक ।जिन्होने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया
अष्टछाप कवि
[[सूरदास]]
परमानंद दास
कुंभन दास
कृष्ण दास
चतुर्भुज दास
छीतस्वामी
नंद दास
गोविंद दास
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यह मांगो गोपीजन वल्लभ ।
मानुस जन्म और हरि सेवा, ब्रज बसिबो दीजे मोही सुल्लभ ॥१॥
श्री वल्लभ कुल को हों चेरो,वल्लभ जन को दास कहाऊं ।
श्री जमुना जल नित प्रति न्हाऊं, मन वच कर्म कृष्ण रस गुन गाऊं ॥२॥
श्री भागवत श्रवन सुनो नित, इन तजि हित कहूं अनत ना लाऊं ।
‘परमानंद दास’ यह मांगत, नित निरखों कबहूं न अघाऊं ॥३॥
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