"छीतस्वामी": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Nitinbagla (वार्ता | योगदान) No edit summary |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:05, 4 अक्टूबर 2006 का अवतरण
वल्लभ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग) के आठ कवियों (अष्टछाप कवि) में एक । जिन्होने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया छीतस्वामी जी का एक पद
भोग श्रृंगार यशोदा मैया,श्री विट्ठलनाथ के हाथ को भावें ।
नीके न्हवाय श्रृंगार करत हैं, आछी रुचि सों मोही पाग बंधावें ॥
तातें सदा हों उहां ही रहत हो, तू दधि माखन दूध छिपावें ।
छीतस्वामी गिरिधरन श्री विट्ठल, निरख नयन त्रय ताप नसावें ॥