"समाजवाद": अवतरणों में अंतर

टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन
पंक्ति 108:
*[[अराजकतावाद]]
 
हमेशा दुनिया में जितनी भी क्रांति हुई उसमे पश्चिम के विचारको के विचारो को ही आधार बनाया गया !
== बाहरी कड़ी ==
दुनिआ में सबसे पहला साम्यवाद विचारक प्लेटो था किन्तु उसके साम्यवाद में भी कुछ कमिया थी जैसे परिवार का साम्यवाद और उसके बाद अरस्तु भी एक साम्यवादी था जो की प्लेटो का ही शिस्य था उसने जो विचार साम्यवाद और क्रांति के लिए दिए वो अपनी तरह के आधुनिक थे उसने राज्य को एक नया आदरसावादी सिद्धांत दिया अरस्तु के अनुसार क्रांति के लिए हथियारों की जरुरत नही वह तो लोकतंत्र में मतों के द्वारा लाया जा सकता हे और मतों का प्रयोग करके समाजवाद की स्थापना करना आसान होता है अरस्तु को प्लेटो अपने विद्यालय का दिमाग खा करता था
{{विचारधारा}}
और साम्यवादी विचारक को लिया जाये तो मार्क्स और एंगेल्स को प्रथम स्थान दिया जाता है अगर वो न होते तो आज साम्यवाद किया है हम नही जान पाते मार्क्स एक महान नेता होता अगर उसकी क्रांतियाँ सफल हो जाती मगर उसकी क्रांति विद्रोह ही बनकर रह गई वो एक ऐसा सख्स था जो कभी भी एक मुल्क में नही रुक पाया वो जहां भी गया वहां की सरकार ने उसे भगा दिया उसने FRANCE में क्रांति करने की कोशिश की लेकिन वो विफल हो गई और फिर उसे वहां से भागना पड़ा !
[[श्रेणी:समाजवाद]]
 
[[श्रेणी:अर्थशास्त्र]]
<big>मार्क्स</big>
[[श्रेणी:राजनीतिक विचार]]
 
[[श्रेणी:वामपंथी विचारधारा]]
मार्क्स लिखता हे की दुनिया में शुरू से ही वर्ग नही थे
[[श्रेणी:मई २०१३ के लेख जिनमें स्रोत नहीं हैं]]
पहले दुनिआ में कोई भी वर्ग नही था धीरे धीरे लोगों ने संपत्ति अर्जित करना शुरू किया और बाद में जिनके पास संपत्ति जियादा हो गई तो उन्होंने कमजोर लोगों पर अपना हुकुम चलना शुरू कर दिया और वो खुद को उनका मालिक समझ बैठे और कमजोरो को ग़ुलाम फिर बाद में सामंतवादी युग आया और सामंतो ने ग़रीब किसानो का खून चूस कर उनसे काम करवाना शुरू किया किसानो को दो वक़्त की रोटी भी नसीब नही होती थी
और फिर बाद में पूंजीवाद का डोर आया जिसमे पूंजीवादी लोगो ने फिर ग़रीबो का खून चूसना शुरू कर दिया और संपत्ति का आधे से जियादा अंस अपने कब्ज़े में करर अपने को खुदा बना बैठे
मार्क्स की महान कीर्ति थी कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो
 
महान समाजवादी कार्ल मार्क्स अगर शासक बन जाते तो आज हमे ये दिन न देखने पड़ते