"भिखारीदास": अवतरणों में अंतर

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[[श्रेणी:रीति काल के कवि]]
==भिखारीदास के काव्यांगों के निर्णय में अत्यंत विशिष्ट स्थान -सुखमंगल सिंह (संकलन )==
तुलसी गंगा दो भये , सुकविनके सरदार |
इनकी काव्यन में मिलीं ,भाषा विविध प्रकार ||
या जग में धनि धन्य त,सहज सलोने गात |
धरनीधर जो बस कियो ,कहा औरकी बात ||
रामकामसायक लगे ,विकल भई अकुलाय |
क्यों न सदन परपुरुषके ,तुरत तारका जाय ||
कहूँ देश बल कहत हैं ,एक अर्थ कवि धीर |
मरुमें जीवन दूरि है, कहै जानियत नीर ||
अति भारी जलकुम्भ लै,आई सदन उताल|
लखि श्रमसलिल उसास अलि कहा बुझती हाल ||
प्रगट भयो लखि विषय हय, विष्णुधाम सानंदि|
सहजपान निद्रा तज्यो ,खुली पीत मुख बंदि||
'दीठि डुले नाहिं कहुँ भई,मोहित मोहन माहिं|
किहिके सुभगता निरखि सखि,धर्म तजै को नाहि?'(hindi kawy gangaa naagripracharni sabha se sabhar,p0250)