"पवहारी बाबा": अवतरणों में अंतर

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== पवहारी बाबा ==
पवहारी बाबा उन्नीसवीं शताब्दी के एक भारतीय तपस्वी और संत थे। [2] [3] उनका जन्म वाराणसी के निकट एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।था।1,2 बचपन में वह गाजीपुर के समीप अपने चाचा के घर विद्याध्ययन के लिए आ गए थे. अपनी पढ़ाई समाप्त करने के बाद उन्होंने भारतीय तीर्थस्थलों की यात्रा की। काठियावाड़ के गिरनार पर्वत में वे योग के रहस्यों से दीक्षित हुए। [4]2
 
तीऱथ भ्रमण के पश्चात वे वापस गाजीपुर लौट आये, और वहां उन्होंने ध्यान और योग का अभ्यास करने के लिए अपने घर में एक भूमिगत आश्रम का निर्माण किया। [4] [2] वे अपनी विनयशीलता और कल्याण की भावना के लिए विख्यात थे। एक रात एक चोर उनके आश्रम में प्रवेश किया। जैसे ही पवहारी बाबा नींद से जागे, चोर सामान छोड़ कर भाग खड़ा हुआ. बाबा ने चोर का पीछा किया और उसे उन्होंने सारी चुराई सामान देने की कोशिश की। इस घटना का चोर के ऊपर बड़ा असर पड़ा और बाद में बाबा का अनुयायी बन गया।
 
अमेरिका आने के ठीक पहले स्वामी विवेकानंद गाजीपुर पवहारी बाबा का दर्शन करने गए. [51] पवहारी बाबा का, स्वामी विवेकानंद के अनुसार,1898 में जलने से निधन हुआ. [4]2
 
=== प्रारंभिक जीवन ===
 
पवहारी बाबा का बचपन का नाम तिवारी था और उनका जन्म वाराणसी के गुज़ी गांव के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन में अध्ययन करने के लिए वे गाजीपुर के पास अपने चाचा के घर आ गए थे। उनके चाचा एक नैष्ठिक ब्रह्मचारी (आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कर्ता) और रामानुज अथवा श्री संप्रदाय अनुयायी थे। पवहारी बाबा एक मेधावी छात्र थे तथा व्याकरण और न्याय और कई हिन्दू शाखाओं में उन्हें महारत हासिल थी। [4] [6]2
 
पवहारी बाबा का अपने चाचा के ऊपर बड़ा स्नेह था. स्वामी विवेकानन्द के अनुसार पवहारी बाबा के बचपन की सबसे बड़ी घटना थी उनके चाचा का असामयिक निधन. इस घटना ने उनके ऊपर बहुत प्रभाव डाला। इसका परिणाम यह हुआ की बाबा वह आध्यात्मिक और अंतर्मुखी से होने लगे. लगभग इसी समय वह भारतीय तीथस्थलों की यात्रा पर निकल पड़े. इन्ही यात्राओं के दौरान एक ब्रह्मचारी के रूप में उन्होंने काठियावाड़ के गिरनार पर्वत में वे उन्होंने योग की दीक्षा ली। [4] आगे भविष्य में अद्वैत वेदांत की शिक्षा उन्होंने वाराणसी के एक दूसरे साधक से ग्रहण की। [6]2
 
=== गाजीपुर में में पुनरागमन और तपस्वी जीवन ===
 
स्वामी विवेकानंद के अनुसार जब नवयुवक पवहारी बाबा वापस ग़ाज़ीपुर लौटे तो लोगों ने उनमें आमूल-चूल परिवर्तन देखा. वह आध्यात्मिक दैनिक साधना में लग गए. गंभीर साधना हेतु उन्होंने घर के अंदर एक भूमिगत कन्दरा बनाई जिसमें बैठ कर वे दिनों दिन साधना किया करते थे. एक बार तो वो महीनो घर से बहार नहीं निकले. 2
=== उल्लेखनीय घटनाऐं ===